जिस इस्लामी जगत को पहले “ओरिएंट” अर्थात् पूर्वी देश (“पूर्व”) माना जाता था वह अधिक विशेष रूप से “निकट पूर्व” बन गया क्योंकि पहली बार यूरोपीय शक्तियों की रुचि ने उन्नीसवीं सदी में किंग (Qing) चीन और मीजी जापान में हस्तक्षेप किया.
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$ कुदरत का भी क्या अजीब करिश्मा है कि उसने मनुष्य के रक्त में कोई ाी अलग पहचान नहीं बनाई जिससे यह साबित हो सके कि यह $ खून किसी पश्चिमी सयता से संबंधित व्यक्ति का है या किसी पूर्वी देश के व्यक्ति का।
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ऐसी स्थिती में ये मध्य पूर्वी देश आसानी से इरान के किसी भी हमले को अपनी सरकारों के खिलाफ़ हमला बता कर पूरी दुनिया के मुसलमानों को यह संदेश दे सकते हैं कि इरान अपनी शिया विचारधारा को सुन्नी देशों के खिलाफ़ युद्ध के जरिये थोपना चाहता है.
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प्रश्न: गुरूजी, पूरा उत्तर अफ्रीका और मध्य पूर्वी देश में इस समय उथलपुथल है और लोग शासकों के विरुद्ध लड़ रहे और भारत में भी लोग भ्रष्ट शासकों के विरुद्ध लड़ रहे है | क्या यह दिव्यता की रचना है कि ऐसा ही होना था और इसका भविष्य क्या है?
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जातीय स्वभाव और पहनावा टसीटस के लेखानुसार प्रत्येक जर्मन का बिस्तरे पर से उठकर स्नान करने का स्वभाव जर्मनी के शीतप्रधान देश का नहीं हो सकता, किन्तु यह पूर्वी देश का है और दूसरी रीति-नीति जातीय स्वभाव सीथियन, सुर्पवी, जरकटी, किम्प्री जाति के मिथ्या विश्वासों का हुआ होगा जो उसी नाम की जेटी जातियों के सदृश ही है जिनका वर्णन, हेरोडोटस, जस्टिन और स्ट्राबो ने किया है और जो व्यवहार राजपूत शाखा में अब तक विद्यमान है ।
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मान लीजिये कि भारतीय पेट्रोल मंत्री मध्य पूर्वी देश जाते हैं पेट्रोल खरीदने, वहाँ का व्यापारी कहता है कि एक लीटर पेट्रोल एक डॉलर का है लेकिन मंत्री जी के पास डॉलर नहीं है केवल रूपये हैं | तब क्या करेंगे मंत्री जी? तब मंत्रीजी अमेरिका से कहेगा कि डॉलर दीजिये | अमेरिकन फेडरल रिज़र्व बैंक एक सफ़ेद कागज़ लेगा, उसमें डॉलर प्रिंट करेगा और भारतीय मंत्री को दे देगा | इस तरह हम डॉलर लेते हैं, पेट्रोल विक्रेता को देते हैं और पेट्रोल लेकर आते हैं |