(१) रूप (colour), (२) रस (taste), (३) गंध (smell), (४) स्पर्श (temperature), (५) संख्या (number), (६) परिमाण-इकाई (unit), (७) पृथकत्व (seprateness), (८) संयोग (conjunction), (९) विभाग (disconjunction), (१०) परत्व (priority largeness), (११) अपरत्व (posteriority smallness), (१२) गुरुत्व (gravity), (१३) द्रवत्व (cohesion), (१४) स्नेहत्व (adhesion), (१५) शब्दवृत्ति (waveaspect), (१६) बुद्धि (cognition), (१७) सुख (pleasure), (१८) दु:ख (pain), (१९) इच्छा (desire), (२०) द्वेष (aversion), (२१) प्रयत्न (voliation), (२२) धर्म (cosmic order), (२३) अधर्म (cosmic degeneracy; entropy), (२४) संस्कार (force) यांत्रिक (mechanical), स्थितिस्थापक (elastic), एवं वेगात्मक (emotional).
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इस द्रुत गति से जीता जीवन, साँस न देती साथ देह का,गति इतनी कि यंत्र मानव है इसमें,गति अणु युग की मूल मान्यता,जीवन रस बन गया गरल, न जाने क्या आगे है।अपनी मंजिल....मिटता प्यार तनाव सुगम प्रसरित है,हृदय, हृदय में दूरी है पृथकत्व है,यह अपनी कृति यंत्र हमें ही मेटती,सोता विवेक, दे सके कौन गुरु मंत्र है,जन पदार्थ-मद पीने में कितना आगे है।अपनी मंजिल....यंत्रों की धड़ धड़ में जीवन,होता जाता है यंत्र सदृश,मानव का मूल्य घिसा जाता,है कृष्ण पक्ष के चन्द्र सदृश,शोषण में पोषक ही सबसे आगे है।अपनी मंजिल.......सत्यनारायण गुप्त 'कुमुद'