उफ़, मुक्केबाज़ नहीं बल्कि कवि होना, जीवन में बामशक्कत कविताई करते जाने की सज़ा पा चुकना मांसपेशियों की कमी के कारण दुनिया को यह जतलाने पर विवश कर दिया जाना कि हाईस्कूल के कवितापाठ्यक्रम में तकदीर की मदद से उसकी कविता जगह पा लेगी. ओ कला की देवी! ओ नन्ही चोटी वाले फ़रिश्ते पेगासस **!