अगर सर्जरी नहीं कि जा सकती है और पैत्तिक पेट दर्द के लक्षण स्थायी हैं, तो पित्तपथरी पिघलाने के लिये दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है.
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अगर पैत्तिक पेट दर्द के पहले एपिसोड विशेष रूप से गंभीर है, या पेट दर्द कि बार बार पुनर्रावृत्ती हो रही है, तो आमतौर पर, सर्जरी (
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पैत्तिक पाण्डु-जब पित्त प्रकृति वाला मनुष्य पित्त कारक आहार-~ विहारों का सेवन करता है तबउसके शरीर में पित्त प्रकृपित तथा रक्तादि धातुओं को दूषित करके पाण्डु रोगउत्पन्न करता है.
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बेद सादा ठंडा, रुखा, कड़वा, तीखा, सुगंधित, जलन को शांत करने वाला, दिल और दिमाग के लिए ताकत, सौमनस्यजनक, मूत्रवर्द्धक, दर्द को दूर करने वाला और पैत्तिक बुखार……. ….
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नवजात यकृतशोथ (नेओनटल् हेपटिटिस्) केसमें, पैत्तिक अवरोध विसर्ग काल का धोतक हो सकता है जिससे मल में पित्त और मूत्रमें यूरो-~ बिलिनोजन का पता चलता है, और प्रारंभिक उच्च बिलीरुबिन स्तर घट-बढ़सकता है.
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१८१८ तक अजमेर ब्रिटिश के प्रभाव में आ गया था जिन्होंने पैत्तिक संपत्ति के रूप में, कुछ अच्छे शैक्षणिक संस्थान जैसे किंगजार्जमिलिटरीकैँलिज और जवान राजपूत राजकुमारों के लिए एक सार्वजनिक विद्यालय, सम्मानित मेंयोकांलिज छोड़ा।
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जब पित्ताशय, यकृत, एवं छोटी आँत से आधिक्य पित्त स्रावित एवं वहाँ जमा होता है तो इसकी परिणति फुन्सी, त्वचा के जलन, मुँहासे, चिरकालिक ज्वर के दौरे, पैत्तिक उल्टी, मिचली एवं पीलिया के रूप में होती है।
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पित्त की बीमारियों पैत्तिक अतिसारों और पित्त प्रकृति वाले मनुष्यों को लाभकारी है अमड़ा के पेड़ की हरी छाल बकरी के दूध के साथ घोंटकर पीने से नाक की बीमारियों को हितकर है इसके गुठली की गीरी मासिक श्राव को बन्द करती है।
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पित्त की बीमारियों पैत्तिक अतिसारों और पित्त प्रकृति वाले मनुष्यों को लाभकारी है अमड़ा के पेड़ की हरी छाल बकरी के दूध के साथ घोंटकर पीने से नाक की बीमारियों को हितकर है इसके गुठली की गीरी मासिक श्राव को बन्द करती है।………………
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सौरभ अस्थाना, मुंबई प्रिय सौरभ, आपने जो रिपोर्ट साथ में भेजी है व टेलीफोन पर बात करी है उस आधार पर बहू को निम्न उपचार दें औषधियां लिख रहा हूं, यह वात पैत्तिक विकार की उपस्थिति है-१.