इतना ही नहीं, बल्कि उस राग-द्वेष की मात्रा इतनी बढ़ गई कि याचक (पुरोहित) दलवाले ब्राह्मण अपने-अपने प्रकर्ष के लिए परस्पर ही एक-दूसरे को इतना दबाने लगे कि एक-दूसरे को नीच बनाते-बनाते यह भी कहने लगे कि हम ही असल ब्राह्मण हैं।
32.
[55] स्वाभाविक रूप से तथा शास्त्रों के अनुशीलन से होने वाले बुद्धि के प्रकर्ष का लाभ जिसने नहीं किया है वह लौकिक पद से यहाँ अभिप्रेत है और जिसने शास्त्रों के अनुशीलन से बुद्धि का प्रकर्ष प्राप्त किया है तथा लौकिक को भी तत्त्व समझाने की सामर्थ्य रखता है वह परीक्षक है।
33.
[55] स्वाभाविक रूप से तथा शास्त्रों के अनुशीलन से होने वाले बुद्धि के प्रकर्ष का लाभ जिसने नहीं किया है वह लौकिक पद से यहाँ अभिप्रेत है और जिसने शास्त्रों के अनुशीलन से बुद्धि का प्रकर्ष प्राप्त किया है तथा लौकिक को भी तत्त्व समझाने की सामर्थ्य रखता है वह परीक्षक है।
34.
श्री अरविन्द के अनुसार-कालिदास के काव्य में भौतिक युग का पूर्ण प्रकर्ष है तथा उसमें रुग्णता, असंतोष एवं भ्रम भग्नता का नितान्त अभाव है, जो प्रायः भौतिकता की दीर्घकालीन उपासना के उपरान्त सदा उत्पन्न हो जाते हैं | कालिदास का निश्चित उद्देश्य शासकों एवं समाज को यह चेतावनी देना था कि यदि उनमें से कोई भी आधारभूत आदर्शों से स्खलित हुआ तो जीवन अस्त व्यस्त हो जाएगा | राज्य संचालन कल्पनाशील विवेक पर आधारित हो, मात्र कठोरता पर नहीं | अज का शासन कौशल इसका प्रमाण है |