एकान्त पा कर गुरु से जी बोले, “भगवन्, आज मुझे गोपनीय विषय का सबके समक्ष प्रकाश करना पड़ा है, इसके लिये क्या प्रायश्चित करना होगा? गुरु जी ने कहा, ” है तो यह अपनी निष्ठा का विषय, अवश्य गोपनीय,
32.
एकान्त पा कर गुरु से जी बोले, “ भगवन्, आज मुझे गोपनीय विषय का सबके समक्ष प्रकाश करना पड़ा है, इसके लिये क्या प्रायश्चित करना होगा? गुरु जी ने कहा, ” है तो यह अपनी निष्ठा का विषय, अवश्य गोपनीय,
33.
एकान्त पा कर गुरु से जी बोले, “ भगवन्, आज मुझे गोपनीय विषय का सबके समक्ष प्रकाश करना पड़ा है, इसके लिये क्या प्रायश्चित करना होगा? गुरु जी ने कहा, ” है तो यह अपनी निष्ठा का विषय, अवश्य गोपनीय, पर तुमने तो हमारी आज्ञा से कहा है इसलिये इस विषय में अधिक विचार करने की आवश्यकता नहीं है।