| 31. | शासन का दस्तूर टालना अपनी बला को. ४ मानव खुद समझे कि प्रकृति की व्यवस्था क्या है.
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| 32. | इस विविधता भरी दुनिया में प्रत्येक जीव जंतु के विकास के लिए प्रकृति की व्यवस्था बहुत सटीक है।
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| 33. | प्रकृति की व्यवस्था और सिमिट्री वास्तव में उन सभी विशिष्टताओं और सापेक्षिकताओं का सामान्यीकृत निरपेक्ष है, जो पदार्थ जगत में मौजूद हैं।
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| 34. | प्रकृति की व्यवस्था और सिमिट्री वास्तव में उन सभी विशिष्टताओं और सापेक्षिकताओं का सामान्यीकृत निरपेक्ष है, जो पदार्थ जगत में मौजूद हैं।
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| 35. | अन्य सब जीव-जंतु तो प्रकृति की व्यवस्था के अंतर्गत रहते हैं पर मनुष्य नई-नई व्यवस्था बनाने में सारी व्यवस्था चौपट कर देता है।
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| 36. | आज मनुष्य के पास प्रकृति की व्यवस्था का कुछ नहीं बचा है, वरन उसने प्रकृति को अपनी व्यवस्था में ढा़ल लिया है।
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| 37. | अन्य सब जीव-जंतु तो प्रकृति की व्यवस्था के अंतर्गत रहते हैं पर मनुष्य नई-नई व्यवस्था बनाने में सारी व्यवस्था चौपट कर देता है।
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| 38. | थोड़ी दूर जाएँ तो प्रकृति की व्यवस्था ही व्यवस्था है लेकिन कौन चल कर दूर जाय जब बगल में ही हगने की व्यवस्था है?
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| 39. | इसलिए प्रकृति की व्यवस्था के अनुसार इस बच्चे के दो महीने का हो जाने के बाद ही इस पर कांटे आना शुरू होते हैं।
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| 40. | मगर भूख प्यास की तरह काम भी सहज स्वभाविक व जीवन के अस्तित्व को टिकाए रखने के लिए अनिवार्य है, यह प्रकृति की व्यवस्था है.
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