पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु का प्रगट होना आधुनिक भौतिक विज्ञान का जन्म है क्यों कि उन्हीं महाभूतों के मिश्रण से ही सृष्टी के अन्य पदार्थ विकसित हुये या मानव दूारा विकसित किये गये हैं।
32.
उनके अवतार ग्रहण का न तो कोई निश्चित समय होता है और न ही कोई निश्चित रूप धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि को देखकर जिस समय वे अपना प्रगट होना आवश्यक समझते है, तभी प्रगट हो जाते है.
33.
किसी विराट चेतना के एक अंश के रूप में धरती पर अवतरण ही अवतार का प्रगट होना है-हिन्दू मिथकों में दस प्रमुख और गौण अवतारों को लेकर कुल चौबीस अवतार अवधारित है-महज एक अवतार अभी भी भविष्य के गर्भ में है-कल्कि!
34.
श्री साई सच्चरित्र-अध्याय 40-श्री साईबाबा की कथाएँ-1. श्री. बी. व्ही. देव की माता के उघापन उत्सव में सम्मिलित होना, और 2. हेमाडपंत के भोजन-समारोह में चित्र के रुप में प्रगट होना ।
35.
एक समय आप भजन कर रहे थे तो एक कुत्ता आकर रोटी उठाकर ले भगा| नामदेव जी उस कुत्ते के पीछे घी का कटोरा लिए भागे और कहने लगे भगवान रुखी मत खाओ साथ में घी भी लेते जाओ | नामदेव का भाव देखकर भगवान को कुत्ते में से प्रगट होना पडा
36.
फ्रैंन्केंस्टीन का प्रयाण स्थल एक ऐसा ही बर्फीला लैंडस्केप रहता है जहां उपन्यास का केन्द्रीय दानव पात्र वहां प्रगट होता है? क्या आदि के स्वप्न के भयंकर और भयावने दानव का भी समान बर्फीले लैंडस्केप में प्रगट होना रचनाकार के एक दूसरे अवचेतन के लिपि बद्ध होते जाने का संयोग मात्र ही तो नहीं है?
37.
जब बुद्ध दशावतार में शामिल हो गए तो इतनी छूट कालांतर में पुरोहित ब्राह्मणों को लेनी ही थी....हे बुद्ध! तेरे परिसर में भी पिंड दान धन्य है यह भारतीय मानस जहां सब कुछ गुड गोबर होते देर नहीं लगती.....और गोबर पट्टी से गुदड़ी के लाल को प्रगट होना भी आश्चर्य में नहीं डालता..बुद्ध इधर के ही थे....
38.
श्री साई सच्चरित्र-अध्याय 4-श्री साई बाबा का शिरडी में प्रथम आगमन-सन्तों का अवतार कार्य, पवित्र तीर्थ शिरडी, श्री साई बाबा का व्यक्तित्व, गौली बुवा का अनुभव, श्री विटठल का प्रगट होना, क्षीरसागर की कथा, दासगणु का प्रयाग-स्नान, श्री साई बाबा का शिरडी में प्रथम आगमन, तीन वाडे़ ।
39.
प्रभु जानते थे कि यह मेरा निर्मल भक्त है | छल कपट नहीं जानता | अब तो प्रगट होना ही पड़ेगा | एक घंटा और बीतने के बाद धन्ना क्या देखता है कि श्री कृष्ण रूप भगवान जी रोटी मखन के साथ खा रहे हैं और लस्सी पी रहें हैं | भोजन खा कर प्रभु बोले धन्ने जो इच्छा है मांग लो मैं तुम पर प्रसन्न हूँ | धन्ने ने हाथ जोड़कर बिनती की-
40.
किसी विराट चेतना के एक अंश के रूप में धरती पर अवतरण ही अवतार का प्रगट होना है-हिन्दू मिथकों में दस प्रमुख और गौण अवतारों को लेकर कुल चौबीस अवतार अवधारित है-महज एक अवतार अभी भी भविष्य के गर्भ में है-कल्कि! चेतना का पूंजीभूत पृथक अस्तित्व ही अवतार है-फ़िल्म का नामकरण अवतार चेतना के ऐसे ही प्रोजेक्शन का अवधारण करता है जहां मूल व्यक्तित्व तो कहीं और हैं मगर उसका अंतरण कही और भी पुंजीभूत हो सकता है, मगर वह संचालित अपने मूल रूप से ही होता है.