गौरतलब है कि इंडिया, केवल ‘ विशालतम लोकतंत्र ' नहीं, पिछड़ी दुनिया का ‘ सफलतम ' प्रजातंत्रवादी ‘ गणतंत्र ' है-हालांकि, शासनतंत्र से न्यूनतम नैतिकता (राजधर्म) और लोक-मर्यादा के तत्त्व निर्वासित हैं।
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क्या औचित्य है ऐसी प्रजातांत्रिक व्यवस्थ्ाा का जिसमें कल का मण्डले किसी दबंग राजनेता का चुनावी खर्च वहन कर राजदूत बन जाता है और पाँच दशकों के प्रजातंत्रवादी जो तीस वर्षो के पंचायती थपेडÞों को झेल चुका है ।
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अपनी फ्रंच रेजीमेंटों को, जिन पर प्रजातंत्रवादी होने का संदेह किया जाता था, वह सांटों डोमिन्गो भेजना अधिक पसंद करता था, जिससे कि वे प्लेग की चपेट में और काली जातियों के हाथ में पड़कर वहां मर जाएं।
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अपनी फ्रंच रेजीमेंटों को, जिन पर प्रजातंत्रवादी होने का संदेह किया जाता था, वह सांटों डोमिन्गो भेजना अधिक पसंद करता था, जिससे कि वे प्लेग की चपेट में और काली जातियों के हाथ में पड़कर वहां मर जाएं।
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इसके प्रकाशक, जॉन चैपमैन, ने उन्हें अपनी संगोष्ठी से मिलवाया, जिसमें जॉन स्टुअर्ट मिल, हैरिएट मार्टिन्यू, जॉर्ज हेनरी लेविस और मैरी एन इवान्स (जॉर्ज इलियट), जिनके साथ उनका संक्षिप्त रूमानी जुड़ाव रहा, सहित राजधानी के अनेक प्रमुख प्रजातंत्रवादी व प्रगतिशील विचारक शामिल हुआ करते थे.
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इसके प्रकाशक, जॉन चैपमैन, ने उन्हें अपनी संगोष्ठी से मिलवाया, जिसमें जॉन स्टुअर्ट मिल, हैरिएट मार्टिन्यू, जॉर्ज हेनरी लेविस और मैरी एन इवान्स (जॉर्ज इलियट), जिनके साथ उनका संक्षिप्त रूमानी जुड़ाव रहा, सहित राजधानी के अनेक प्रमुख प्रजातंत्रवादी व प्रगतिशील विचारक शामिल हुआ करते थे.
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सन 1830 के दशक के दौरान रेल परिवहन के क्षेत्र में आए उछाल के दौरान उन्होंने एक सिविल इंजीनियर के रूप में कार्य किया, और साथ ही अपना अधिकांश समय प्रान्तीय पत्रिकाओं के लिखने में भी लगाया, जो कि अपने धर्म में गैर-अनुसारक व अपनी राजनीति में प्रजातंत्रवादी थीं.
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सन 1830 के दशक के दौरान रेल परिवहन के क्षेत्र में आए उछाल के दौरान उन्होंने एक सिविल इंजीनियर के रूप में कार्य किया, और साथ ही अपना अधिकांश समय प्रान्तीय पत्रिकाओं के लिखने में भी लगाया, जो कि अपने धर्म में गैर-अनुसारक व अपनी राजनीति में प्रजातंत्रवादी थीं.
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स्तोलिविन के शिक्षात्मक हथौड़े के नीचे सामाजिक प्रजातंत्रवादियों के पथारूढ़ संलग्न आंदोलन के जरिये, केवल समाजवादी सर्वहारा के भीतर से ही नहीं, किसानों के प्रजातंत्रवादी जनता के भीतर से भी, निश्चय ही अधिक से अधिक तपे हुए लड़ाके निकलेंगे, जिनकी हमारे तोल्स्तोयवादी ऐतिहासिक पाप के गढ़े में गिरने की संभावना कम से कम होगी।