इस संबंध में पुनरीक्षण कर्ता की ओर से यह तर्क रखा गया कि प्रतिवादी ने अपना जवाब दावा प्रस्तुत करते समय प्रतिदावा प्रस्तुत नहीं किया है और बाद में प्रस्तुत किया गया प्रति दावा समय बाधित होने के कारण निरस्त होने योग्य है।
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हम से यह भी पूछा गया है कि हमारा कोई प्रतिदावा है क्या-सो हमने एक बना दिया है, पर सीधे साफ़ शब्दों में पूछा जाए तो हमारी बतौर संकलक-यही नीति है कि हम तटस्थ भाव से संकलन करते हैं।
33.
जिसके द्वारा प्रतिदावे के वाद का मूल्यांकन रू9000 /-सही मानते हुए वाद बिन्दु 17 नकारात्मक निर्णित किया गया, वाद बिन्दु संख्या 18 जो न्याय शुल्क के संबंध में है इसे भी पर्याप्त मानते हुए नकारात्मक निर्णित किया गया और वाद बिन्दु संख्या 16 जो प्रतिदावा के समय बाधित होने के संबंध में है।
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प्रत्यर्थी / वादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अधीनस्थ न्यायालय में अस्थाई निषेद्याज्ञा प्रार्थनापत्र के विरूद्ध प्रतिवादी द्वारा इस बात का प्रतिदावा प्रस्तुत किया गया कि मोटर सड़क के मिलान पर हाल बन्दोबस्ती भूखण्ड संख्या-5692 में वादी की भूमि के 3 नाली 7 मुट्ठी के अतिरिक्त प्रतिवादी की 8 मुट्ठी भूमि राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहीत भूमि है।
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प्रत्यर्थी / वादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अधीनस्थ न्यायालय में अस्थाई निषेद्या ज्ञा प्रार्थनापत्र के विरूद्ध प्रतिवादी द्वारा इस बात का प्रतिदावा प्रस्तुत किया गया कि मोटर सड़क के मिलान पर हाल बन्दोबस्ती भूखण्ड संख्या-5692 में वादी की भूमि के 3 नाली 7 मुट्ठी के अतिरिक्त प्रतिवादी की 8 मुट्ठी भूमि राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहीत भूमि है।
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ठीक इसी आशय के वाद बिन्दु संख्या 17 व 18 भी निर्मित किये गये हैं और पुनः विचारण न्यायालय ने इन वाद बिन्दुओं को नकारात्मक निर्णित किया है और नगर पालिका द्वारा निर्धारित किराये के 20 गुने रू 9, 000/-पर प्रतिदावा में अदा किये गये न्याय शुल्क एवं मूल्यांकन को, ए. सी. जे. 2002 पृष्ठ 897 रमाकान्त मालवीय बनाम जिला जज इलाहाबाद का अनुसरण करते हुए सही ठहराया है।
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, 'खुले विश्व' के बन्द होते दरवाजे, चिट्ठे इन्कलाब नहीं लाते!, अपठित महान: महा अपठित, अकाल तख़्त को माफ़ी नामंजूर?, रविजी, आप भी न भूलें, भागिएगा भी नहीं, प्रतिबन्धित पुस्तिकायें,एक किस्सा और एक खेल, “डबल जियोपार्डी ” नारद की राहुल पर, गीकों की 'गूँगी कबड्डी', ब्लागवाणी क्यों?, “ आप चिट्ठाजगत पर क्या-क्या कर सकते हैं”, 'चिट्ठाजगत' का प्रतिदावा, दिल्ली चिट्ठाकार-मिलन: एक अ-रपट,