नरों के विपरीत जिनका वर्चस्व का दर्जा हासिल करने का मुख्य प्रयोजन यौन संबंधों में विशेषाधिकार प्राप्त करना और कभी-कभी अपने अधीनस्थों पर हिंसक प्रभाव दिखाना होता है, मादाएं भोजन जैसे संसाधनों को प्राप्त करने के लिए वर्चस्व का दर्जा हासिल करती हैं.
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नरों के विपरीत जिनका वर्चस्व का दर्जा हासिल करने का मुख्य प्रयोजन यौन संबंधों में विशेषाधिकार प्राप्त करना और कभी-कभी अपने अधीनस्थों पर हिंसक प्रभाव दिखाना होता है, मादाएं भोजन जैसे संसाधनों को प्राप्त करने के लिए वर्चस्व का दर्जा हासिल करती हैं.
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कुछ पिछले दरवाजे से प्रवेश पाने वाले नेता तो यहाँ तक भी कहने लगे हैं की ‘ जब से कांग्रेस के युवराज को नंबर दो की गद्दी पर बिठाया उसी दिन से शनि महाराज ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है '!
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नरों के विपरीत जिनका वर्चस्व का दर्जा हासिल करने का मुख्य प्रयोजन यौन संबंधों में विशेषाधिकार प्राप्त करना और कभी-कभी अपने अधीनस्थों पर हिंसक प्रभाव दिखाना होता है, मादाएं भोजन जैसे संसाधनों को प्राप्त करने के लिए वर्चस्व का दर्जा हासिल करती हैं.
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राहुल गांधी अपने पिता राजीव गांधी की भांति 36-37 साल की उम्र में राजनीति में आए, जैसे ही सोनिया और राहुल गांधी सत्ता के करीब पहुंचे तो म अक्षर ने फिर अपना प्रभाव दिखाना षुरू दिया और महंगाई, मंदी ने विकराल रूप धारण कर लिया
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इस अनंत ब्रह्मांड मे सभी देवता (दिव्य चेतन शक्तियाँ) इसी प्रकार शक्ति सम्पन्न होते हैं जिससे इस धरती पर भी वर्षा, फसलों का उगना, श्रेष्ठ संतानों जन्म होना और योग्य का अपना पूर्ण शुभ प्रभाव दिखाना आदि सभी कार्य होते हैं ।
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राहुल गांधी अपने पिता राजीव गांधी की भांति 36-37 साल की उम्र में राजनीति में आए, जैसे ही सोनिया और राहुल गांधी सत्ता के करीब पहुंचे तो म अक्षर ने फिर अपना प्रभाव दिखाना षुरू दिया और महंगाई, मंदी ने विकराल रूप धारण कर लिया
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आज के समय में मीडिया ऐसा उद्यम हो गया है जो हर किसी की अनिवार्यता बन चुका है चाहे आप एक व्यापारी हों या राजनीतिक संगठन से जुड़े हों या अपने निजी लाभ के लिए आपको आम जनता पर प्रभाव दिखाना / छोड़ना हो तो मीडिया हर किसी को अपनी तरफ लुभाता है।
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परिसर्प के विषाणु किसी व्यक्ति के रोगग्रस्त होने की स्थिति में अपना प्रभाव दिखाना शुरू करते हैं अर्थात् ये रोगग्रस्त व्यक्ति में छाले के रूप में प्रकट होते हैं जिसमें संक्रामक विषाणु के अंश होते हैं जो 2 से 21 दिनों तक प्रभावी रहते हैं और उसके बाद जब रोगी की हालत में सुधार होने लगता है तो ये घाव गायब हो जाते हैं.
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परिसर्प के विषाणु किसी व्यक्ति के रोगग्रस्त होने की स्थिति में अपना प्रभाव दिखाना शुरू करते हैं अर्थात् ये रोगग्रस्त व्यक्ति में छाले के रूप में प्रकट होते हैं जिसमें संक्रामक विषाणु के अंश होते हैं जो 2 से 21 दिनों तक प्रभावी रहते हैं और उसके बाद जब रोगी की हालत में सुधार होने लगता है तो ये घाव गायब हो जाते हैं.