व्यवस्था से बन्धे होने की मजबूरी को अन्य क्षेत्रों में भी लोग मैनीप्युलेट करते हैं. थानेदार के सामने से अपराधी भागता है पर वह कुछ नहीं करता-उसके लिये वह तब तक नहीं कर सकता, जब तक कोई एफ.आई.आर. न लिखादे. डाक्टर सरकारी अस्पताल में काम न कर प्राइवेट प्रेक्टिस करता है.
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उनका कहना था, ' वार्ड में एक मरीज़ की मौत हो जाने पर उसके साथियों ने डयूटी पर मौजूद ज्युनियर डाक्टर की पिटाई कर दी है-बेचारा ज्युनियर डाक्टर क्या करता, उसे जितना आता था उसने किया? सीनियर डाक्टर प्राइवेट प्रेक्टिस में इतने मसरूफ़ रहते हैं कि वार्ड के मरीज़ों पर तवज्जो ही नहीं देते हैं।
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पंजाब मेडिकल कौंसिल को शिकायत पीडि़ता ऊषा ने पंजाब मेडिकल कौंसिल को भी शिकायत भेजी है। पीडि़ता के बेटे हरदीप ने बताया कि डॉ. मनजीत सिंह जोड़ा प्रेग्मा अस्पताल में उसकी माता को देखा करते थे। उन्हें नहीं मालूम था कि एक सरकारी डाक्टर प्राइवेट प्रेक्टिस नहीं कर सकता है। उन्होंने बताया कि उक्त डाक्टर रूटीन में ही उक्त अस्पताल में मरीज को देखता था। उनके पास डाक्टर की ओपीडी पर्ची भी है।
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* जे. एन. आई. की टीम ने उस आदमी जिसने अस्पताल में डाक्टर ए.क े. सिं ह.स ेंगर की क्लिनिक पर इलाज कराने का पता लिख कर दिया था उस पर जाकर हकीकत जानना चाहा तो वहां देखा की दरियापुर पर विनोद मेडिकल स्टोर पर डाक्टर सेंगर के नाम का बाकायदा बोर्ड लगा है और वो वहां प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहे है, जब इस बाबत मेडिकल स्टोर का मालिक से बात करनी चाही तो उसने खबर न छापने की दुहाई दी