यदि किसी परिपथ में, विद्युत धारा के परिवर्तन की दर एक एम्पीयर प्रति सैकिण्ड है, और परिणामित इलेक्ट्रोमोटिव बल एक वोल्ट है; तब परिपथ का प्रेरकत्व एक हेनरी होगा.
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इस कारण अधिक आवृत्ति पर काम करने वाले ट्रान्सफार्मर एवं प्रेरकत्व (चोक) के निर्माण में इनका उपयोग किया जाता है क्योंकि अधिक प्रतिरोधकता के कारण इनमें भंवर-धारा-हानियाँ बहुत कम होतीं हैं।
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प्रवर्धकों का उपयोग करने पर प्रेरकत्व के बिना भी फिल्टर बनाना सम्भव हो जाता है जो एक विशेष लाभ है क्योंकि प्रायः प्रेरकत्व दूसरे परिपथ-अवयवों की तुलना में अधिक महंगे होते हैं।
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प्रवर्धकों का उपयोग करने पर प्रेरकत्व के बिना भी फिल्टर बनाना सम्भव हो जाता है जो एक विशेष लाभ है क्योंकि प्रायः प्रेरकत्व दूसरे परिपथ-अवयवों की तुलना में अधिक महंगे होते हैं।
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इस जटिलता के लाभ उच्च आवृत्तियों पर प्रतिबाधा कम होना, विस्तारित उच्च स्वर निर्गम, हार्मोनिक विरूपण कम होना और आमतौर पर बड़े वाक् कुंडली भ्रमण से जुड़े प्रेरकत्व मॉडुलन में कमी होना शामिल हैं.
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इस जटिलता के लाभ उच्च आवृत्तियों पर प्रतिबाधा कम होना, विस्तारित उच्च स्वर निर्गम, हार्मोनिक विरूपण कम होना और आमतौर पर बड़े वाक् कुंडली भ्रमण से जुड़े प्रेरकत्व मॉडुलन में कमी होना शामिल हैं.
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इनमें कुंडली नहीं होती, इस कारण उनमें प्रेरकत्व नहीं होता और उच्च आवृत्ति की प्रत्यावर्तीं धारा भी नापी जाती है, परंतु ये पर्याप्त रूप से यथार्थ नहीं होते और अधिक मात्रा की धारा को सहन करने में असमर्थ होते हैं।