उसके लिये एक एक ड्रेस, प्रैम, मोज़े, स्वैटर, जंपर, दूध की बोतल, बिब, नैपी.... खरीदने के लिये मदरकेयर के कितने चक्कर लगाए।
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मुझे यह सोच कर काफी हैरानी होती है कि जो चीजें हमेशा एक जैसी रहती हैं, उनसे ऊबने के बजाय आदमी सबसे ज्यादा उन्हीं को देखना चाहता है, जैसे प्रैम में लेटे बच्चे या नव-विवाहित जोड़े की घोड़ा-गाड़ी या मुर्दों की अर्थी।
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मुझे डर था कि प्रैम को हाथ लगाते ही वह रो पड़ेगी, लेकिन एक बार मन हुआ कि उसे ज़रा-सा और पीछे हटाकर फुटपाथ पार कर दूँ, डीजल-इंजिन वाली भौंडी बसों की दहशत मेरे दिल में बचपन से बैठी हुई है, पर फिर यह सोचकर रुक गया कि हालाँकि कोई ड्राइवर कम कुशल होता है कोई ज़्यादा और कोई अपनी बीवी को पीटता है कोई नहीं, पर ऐसा कोई नहीं होगा जो उसे बचाकर नहीं निकल जाएगा।