| 31. | जिन स्वरों के उच्चारण में दीर्घ स्वरों से भी अधिक समय लगता है उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं।
|
| 32. | वह ÷ ऊ ' ध्वनि अपने प्लुत के साथ भयद्योतन और भयनिवारण दोनों में प्रयुक्त होती है।
|
| 33. | प्लुत तथा दीर्घ मात्राओं का स्थितिकाल क्रमश: संक्षिप्त होकर अंत में एक मात्रा में पर्यवसित हो जाता है।
|
| 34. | प्लुत से ही बना है प्लव शब्द जिसका मतलब है तैरता हुआ, बहता हुआ, उछलना, कूदना आदि।
|
| 35. | इनमें ह्रस्व, दीर्घ, प्लुत और स्वरित, इन चार प्रकार के स्वरों का विचार किया जाता है, यथा “अनुष्टुप” इत्यादि।
|
| 36. | उदात्त-अनुदात्त-स्वरित तीन भेद से अकार के ही ह्रस्व, दीर्घ, प्लुत भेद से 9 भेद हो जाते हैं।
|
| 37. | वहीं पर जीभ को लगा कर बिना स्वर लगाए र् की ध्वनि हृस्व, दीर्घ, प्लुत में बोलेंगे तो ऋ,
|
| 38. | इनमें ह्रस्व, दीर्घ, प्लुत और स्वरित, इन चार प्रकार के स्वरों का विचार किया जाता है, यथा “अनुष्टुप” इत्यादि।
|
| 39. | और पूर्व अगर दीर्घ वर्ण हो, तो उसकी 3 मात्रा हो जाती है और वह प्लुत कहलाता है ।
|
| 40. | अकार के तीन भेद-उदात्त, अनुदात्त और स्वरित भी ह्वस्व-दीर्घ प्लुत भेद से नौ प्रकार के हो जाते हैं।
|