मैंने मौन रहकर उसे आँख भर देखा जैसे सम्मोहित होकर वह एक पल स्थिर आँखों से मुझे देखती रही फिर काँपकर ऐसे भड़भड़ायी जैसे यह उसका आखिरी फड़फड़ाना हो फिर उसने पंख खोल दिये और उन्हें तान दिया।
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डाल तो दिया, लेकिन मेरी धौंकनी ने क्या जोर से फड़फड़ाना शुरू किया! एक बारगी तो लगा कि तुरंत ही चपरासी कोई फाइल खोजने के बहाने मेरी ड्रॉअर को खींचेगा और पलभर में ही मुझे निर्वस्त्र कर देगा।
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यह बना है संस्कृत की लस् धातु से जिसमें प्रकाश में आना, चमकना, नचाना, क्रीड़ा करना, खेलना, लहराना, फड़फड़ाना, फूंक मारना, किलोल करना, आवाज़ करना, ध्वनि करना, गूंजना आदि भाव शामिल हैं।
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नाक में इस प्रकार हटाई गई अशुद्धिया छींक द्वारा नाक साफ करते वक्त बाहर फेंक दी जाती है नाक के बाहरी हिस्से में मौजूद दोनों तरफ नथुने (नोजरिल्स) सास प्रक्रिया में कठिनाई आने पर फूलने व सिकुड़ने (नाक का फड़फड़ाना) लग जाते हैं।
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ग़ौरतलब है कि सेन ने रिडीफ़ डॉट कॉम को दिए गए एक इंटरव्यू में कथित तौर पर कहा था कि ' ' इसे (परमाणु समझौता) यहाँ राष्ट्रपति और वहाँ कैबिनेट ने पारित किया, तो फिर सिरकटे मुर्गे (हेडलेस चिकन) की तरह क्या फड़फड़ाना. ''
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यदि आज भी बच्चियों को खेलने की स्वतन्त्रता नहीं है तो उनके बचपन में तो क्या ही रही होगी? यदि पंख काटने की बजाए उनका उपयोग शुरू से निषेध कर दिया जाए तो वे पंख केवल सजावटी रह जाते हैं, पक्षी शायद उन्हें फड़फड़ाना भी भूल जाता है।
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कुछ भी याद नहीं, सिर्फ एक सफेद कबूतरी याद है, जो मेरी कल्पनाओं में निरन्तर मेरे साथ है, जिसके फैले हुए पंख मेरी छत हैं, जिसका नर्म स्पर्श मेरा बिस्तर है, जिसकी प्यारी गुटरगूँ मेरी प्रार्थना है, जिसका फड़फड़ाना मेरे जज्बात हैं, जिसका उड़ना मेरा विस्तार है।
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तीन बजे रात में ओले का गिरना बिजली का तड़क ना और बारिश का होना बालकनी में आशियाना बनाये हमारी कबूतरों का फड़फड़ाना उनकी फिक्र में सोना और जागना सुबह आठ बजे अँधेरे का छाना दिन में रात का होना फिर बारिश का आना और सर्दी से मिल जाना बार-बार बिजली का कटना और नेट का आना-जाना सब कुछ का साजिश में तब्दील हो जाना
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उदाहरण के तौर पर कहूँ तो मोहन राकेश की लिखी कहानी ' परिचय ' उसी मनोवैज्ञानिक कहानी का एक उदाहरण है जिसमें ट्रेन के डिब्बे में अनजान महिला से परिचय होता है और बातचीत के दौरान मनोभावों के आदान प्रदान होते हैं और उसी में प्रतीक रूप में ट्रेन के डिब्बे के बल्ब से एक पतंगे का टकराना, फड़फड़ाना दर्शाया गया है जो कि पात्र के मनोभावों को दर्शाते जा रहा है।