किसी भी परमाणु का नाभिक फर्मिऑन है अथवा बोसॉन, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें मौजूद प्रोटॉन व न्यूट्रॉन का योग सम है अथवा विषम।
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एक फर्मिऑन अपने जैसे उपकणों को अपने पास नहीं आने देता है और समान ऊर्जा की भिन्न भिन्न कक्षाओं में रहकर एक दूसरे की निस्तेज करता रहता है।
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किसी भी परमाणु का नाभिक फर्मिऑन है अथवा बोसॉन, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें मौजूद प्रोटॉन व न्यूट्रॉन का योग सम है अथवा विषम।
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अब स्टैण्डर्ड मॉडल सिद्धान्त के सामने सबसे बड़ा सवाल यह था कि फर्मिऑन कणों से पदार्थ का विकास होने के बावजूद उसमें द्रव्यमान कहाँ से आता है.
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किसी भी परमाणु का नाभिक फर्मिऑन है अथवा बोसॉन, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें मौजूद प्रोटॉन व न्यूट्रॉन का योग सम है अथवा विषम।
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प्रोटॉन फर्मिऑन होते है, जिनकीस्पिन १/२ होती है और यह तीन क्वार्क से मिलकर बने होते है अर्थात यह बेर्यॉन (हेड्रॉन का एक प्रकार) के रुप में होते है।
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जो कण इस सिध्दांत का पालन करते है, फर्मिऑन कहलाते है, जैसे: इलेक्ट्रॉन,प्रोटॉन,न्यूट्रॉन इत्यादि ; एवं जो कण इस सिध्दांत का पालन नहीं करते है, बोसॉन कहलाते है, जैसे: फोटॉन,ग्लुऑन, गेज बोसान ।
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आज प्रवीण पांडेय ने बड़ी शानदार पोस्ट लिखी...बोसॉन या फर्मिऑन...भौतिकी जैसे जटिल और गूढ़ विषय को भी आधार बना कर मानव व्यवहार की रोचक व्याख्या प्रवीण की अद्भुत लेखनी का कमाल है...
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वे कण जो फर्मी-डिराक सांख्यिकी के अनुसार व्यवहार करते है, जिनका प्रचक्रण विषम अर्ध पूर्णांक (१/२, ३/२,-) होता है और जो पाउली अपवर्जन नियम का पालन करते है, फर्मिऑन कहलाते है।
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जो कण इस सिध्दांत का पालन करते है, फर्मिऑन कहलाते है, जैसे: विद्युदणु, प्राणु, न्यूट्रॉन इत्यादि ; एवं जो कण इस सिध्दांत का पालन नहीं करते है, बोसॉन कहलाते है, जैसे: फोटॉन,ग्लुऑन, गेज बोसान ।