मोन्सेन्टो के मक्के के बीज से उपजी फसल फलहीन कृषि राज्य मंत्री के वी थामस ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि बिहार में बड़े भू-भाग पर अमेरिका की मोन्सेन्टो कंपनी द्वारा तैयार संकर नस्ल के बीज “कारगिल..900 एम एम” बोने के बाद मक्के की फसल में दाने नही आए।
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इन लोगों के द्वारा यदि होम (अग्निहोत्र), दान (गाय एवं सोने का) कृत्य देख लिया जाए, या जब ब्राह्मण भोजन कर रहे हों या किसी धार्मिक कृत्य (दर्श-पूर्णमास आदि) के समय या श्राद्ध के समय ऐसे लोगों की दृष्टि पड़ जाये तो सब कुछ फलहीन हो जाता है।
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बदलू की आँखों से अविरल अश्रुधारा बह रही थी-कहाँ गए? कब गए? एक प्रकार से उसे हिला-हिलाकर सुशील ने झिंझोड़कर रखा दिया था, पर फलहीन ठूँठ वृक्ष-सा बदलू हिलाए जाने पर भी फल कैसे गिरा सकता था? गूँगी जिह्ना को बड़ी चेष्टा से हिलाकर उसने कहा, ‘ पफ पफ ' ।
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धीरज से स् वामी ने इन् तज़ार किया किन् तु जब यह वृक्ष फलहीन ही रहा आया तब स् वामी ने बारी के रखवाले से कहा कि यह वृक्ष बारी की ज़मीन से काफी मात्रा में पानी एवं खाद प्राप् त कर रहा है, परन् तु फिर भी फलहीन है जिससे यह किसी काम का नहीं।
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धीरज से स् वामी ने इन् तज़ार किया किन् तु जब यह वृक्ष फलहीन ही रहा आया तब स् वामी ने बारी के रखवाले से कहा कि यह वृक्ष बारी की ज़मीन से काफी मात्रा में पानी एवं खाद प्राप् त कर रहा है, परन् तु फिर भी फलहीन है जिससे यह किसी काम का नहीं।
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घर के आसपास अगर प्राकृतिक रूप से पेड़ उग जाएं या ऐसे पेड़ों की छाया घर पर पड़े, तो उनका प्रभाव क्या हो सकता है, इसका विश्लेषण भी वास्तु शास्त्र में बखूबी किया गया है, जैसे-घर के आगे और पीछे कांटे वाले पेड़ या दूध वाले कैक्टस के पेड़ लगाने से शत्रु का भय और धन का नाश होता है और किसी फलहीन पेड़ की छाया घर पर दोपहर बाद पड़े, तो रोग और अचानक कष्टों का सामना करना पड़ता है।
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लकड़हारे मेरी छाया काट मुझे ख़ुद को फलहीन देखने की यंत्रणा से मुक्त कर! मैं दर्पणों से घिरा हुआ क्यों पैदा हुआ? दिन मेरी परिक्रमा करता है और रात अपने हर सितारे में मेरा अक्स फिर बनाती है मैं ख़ुद को देखे बग़ैर ज़िन्दा रहना चाहता हूँ और सपना देखूंगा कि चींटियाँ और गिद्ध मेरी पत्तियाँ और चिड़ियाँ हैं लकड़हारे मेरी छाया काट मुझे ख़ुद को फलहीन देखने की यंत्रणा से मुक्त कर! अंग्रेज़ी से अनुवाद: विष्णु खरे
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लकड़हारे मेरी छाया काट मुझे ख़ुद को फलहीन देखने की यंत्रणा से मुक्त कर! मैं दर्पणों से घिरा हुआ क्यों पैदा हुआ? दिन मेरी परिक्रमा करता है और रात अपने हर सितारे में मेरा अक्स फिर बनाती है मैं ख़ुद को देखे बग़ैर ज़िन्दा रहना चाहता हूँ और सपना देखूंगा कि चींटियाँ और गिद्ध मेरी पत्तियाँ और चिड़ियाँ हैं लकड़हारे मेरी छाया काट मुझे ख़ुद को फलहीन देखने की यंत्रणा से मुक्त कर! अंग्रेज़ी से अनुवाद: विष्णु खरे
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उनके बोल गूँजने लगते हैं-' जब आदमी अधूरा, जीवन अधूरा, दुनिया अधूरी तो इन सब पर लिखे जाने वाले निबंध कैसे पूर्ण मान लिये जाएँ? आधे बखरे खेत, खलिहान में आधी उड़ी और आधी बिन उड़ी फसलें, हरियाते दीखते लेकिन फलहीन वृक्ष, आधे वसंत पार कर यौवन की दहलीज़ पर खड़ी जोगिया परिधान पहने जोगन, बिन पतवार के मँझधार में डोलती अधूरी नाव, अधूरे पाँव, अधूरे गीत, अधूरी तान, अधूरे स्वर, अधूरा सफर, जहाँ देखूँ वहीं अधूरा तो फिर निबंध कैसे पूरा हो? (नदी तुम बोलती क्यों हो, पृष्ठ-102) ##############समीक्षित
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उनके बोल गूँजने लगते हैं-' जब आदमी अधूरा, जीवन अधूरा, दुनिया अधूरी तो इन सब पर लिखे जाने वाले निबंध कैसे पूर्ण मान लिये जाएँ? आधे बखरे खेत, खलिहान में आधी उड़ी और आधी बिन उड़ी फसलें, हरियाते दीखते लेकिन फलहीन वृक्ष, आधे वसंत पार कर यौवन की दहलीज़ पर खड़ी जोगिया परिधान पहने जोगन, बिन पतवार के मँझधार में डोलती अधूरी नाव, अधूरे पाँव, अधूरे गीत, अधूरी तान, अधूरे स्वर, अधूरा सफर, जहाँ देखूँ वहीं अधूरा तो फिर निबंध कैसे पूरा हो? (नदी तुम बोलती क्यों हो, पृष्ठ-102) ##############समीक्षित कृति-लिखने