!! स्टेज के पिछे, यहाँ समर्पित अनुबोधक कलाकार को, ये महसूस हुआ कि, उसके बिलकुल धीरे से फुसफुसाने के कारण, हीरो साहब को शायद नेपथ्य से संवाद सुनाई नहीं देते होंगे, अतः अनुबोधक ने फुसफुसाना बंद करके, ज़रा उँची आवाज़ में, हीरो को संवाद याद कराना शुरू किया..
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मैं जंगले से झांककर बुदबुदाता हूं ' घर कहां है?'..और लौट जाता हूं. सतायी हुई तुम कहती हो रोज़-रोज़ का रोना बंद करो माथे पर हाथ और हाथ का किताब बंद करो फ़ोन पर फुसफुसाना और रात का बुदबुदाना बंद करो जांगर हिलाओ आदमी बनो बाहर जाओ चार पैसा कमाओ हमको सताना बंद करो दोस्त तीन हैं तेरह हैं तेईस हैं दोस्त एक नहीं है.
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वह भीड़ भरे स्टेशन पर अकेले चिल्ला कर अचानक उदघोष करते हैं, 'लोक कवि जिंदाबाद!' वह दो चार बार ऐसे ही जिदाबाद चिल्लाने के तुरंत बाद लोक कवि के कान में फुसफुसाते हैं, 'लेकिन पिंकी कहां है?' लोक कवि बब्बन यादव का फुसफुसाना पी जाते हैं और साथी कलाकारों को आंखों-आंखों में इशारा करते हैं कि पिंकी को ट्रेन में कहीं, या भीड़ में कहीं छुपा दिया जाए।
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वह भीड़ भरे स्टेशन पर अकेले चिल्ला कर अचानक उदघोष करते हैं, ‘ लोक कवि जिंदाबाद! ' वह दो चार बार ऐसे ही जिदाबाद चिल्लाने के तुरंत बाद लोक कवि के कान में फुसफुसाते हैं, ‘ लेकिन पिंकी कहां है? ' लोक कवि बब्बन यादव का फुसफुसाना पी जाते हैं और साथी कलाकारों को आंखों-आंखों में इशारा करते हैं कि पिंकी को ट्रेन में कहीं, या भीड़ में कहीं छुपा दिया जाए।