हम सभी बचपन से लेकर बुढ़ापे तक सभी जिम्मेदारियों का निर्वाह, अपने कर्तव्यों का पालन जिस तरह करते हैं ठीक उसी तरह इस राष्ट्र के प्रति भी हमारी कुछ जिम्मेदारी और कर्तव्य हैं जिनके प्रति हम शायद ही कभी सोचते हैं या कुछ करते हैं.....
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आज महिलाएँ अपने छोटे से छोटे अधिकार के लिए भी लड़ती हुई दिखाई देती हैं, चाहे वह एक बेटी हो,बहन,पत्नी,बहू या माँ हो उसे अपने अधिकारों के लिए लड़ना ही पड़ता है| बचपन से लेकर बुढ़ापे तक उसे हमेशा उसके फर्ज़ याद दिलाए जाते हैं,अधिकारों की तो उसे जानकारी ही नहीं दी...