चामुंडा माता मंदिर के दक्षिण में माता तुलजा भवानी (बड़ी माता) का मंदिर स्थित है जिसके गर्भगृह में माँ तुलजा भवानी की प्रतिमा स्थित है.
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मौनी बाबा मंदिर, हुल्की माता मंदिर, लक्ष्मी मंदिर, शीतला माता मंदिर, काली माता मंदिर, बड़ी माता मंदिर में नारियल के पहाड़ से लग गये।
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मार्ग में राधाकृष्ण मंदिर, दुर्गा मंदिर, बड़ी माता मंदिर जितने भी मंदिर मिलते हैं सभी की पूजा करती हुयी रामधुन गाने वालों की टोली आगे बढ़ती है।
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पहाड़ी के शीर्ष पर विपरीत दिशाओं में मंदिर स्थित हैं एक माता तुलजा भवानी (बड़ी माता) का तथा दूसरा माँ चामुंडा (छोटी माता) का.
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पानापोटी के 3-4 पत्ते और 7 कालीमिर्च के दानों को एक साथ पीसकर पानी में मिलाकर 3 दिनों तक रोगी को पिलाने से बड़ी माता ठीक हो जाती है।
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मुझसे ठीक बड़ी बहन और मेरे उम्र के बीच लगभग 10 वर्ष का अंतराल था इस बीच मेरे एक भाई और एक बहन बड़ी माता के शिकार होकर परलोक सिधार गए थे।
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आज बड़ी माता के उन्मूलन के बाद भी अंध श्रद्धा के कारण यह माता जीवंत हैं-कभी कभी अंधविश्वास और सांस्कृतिक सोच की विभाजन रेखा सचमुच बहुत क्षीण दिखती है!
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सांस्कृतिक राजस्थान की प्रचुर जानकारी आपके ब्लाग से मिलती है-आभार! बड़ी माता कभी कितनी दूरी में व्याप्त थी-हमें जौनपुर में भी चौकिया नामकी जगहं में इनका मंदिर है!
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ग्रामीण इलाकों में आमतौर पर ऐसी देवियां प्रचलित हैं, जो गुस्से में होने पर कथित रूप से बाढ़, सूखा, अकाल, छोटी माता या बड़ी माता जैसी आफत ला सकती हैं और खुश होने पर सुख-संपत्ति व संतोष देती हैं।
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बड़ी माता के रोग को ठीक करने के लिए करेले की बेल, पत्ते तथा फल के 10 मिलीलीटर रस में 1 चम्मच शहद मिलकर रोगी व्यक्ति को दिन में 3 बार चटाने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।