हफ्ते के बाकी दिन भी, खासकर नमाज के वक्त वे इतने ही खूबसूरत दिखते हैं, लेकिन ऐसा नहीं कि सिर्फ मस्जिद या उसके आस-पड़ोस में वे बन-ठन कर निकलते हैं।
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मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ मैं कब से इतना वांटेड हो गया? आज तक कोई नेतागिरी टाइप का गुनाह भी तो नहीं किया. कभी बहुत बन-ठन कर, सज-संवर कर भी नहीं निकला.
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इसमें सायासपन नहीं था, लेकिन अनायास ही, सज-सँवरकर और एकदम से बन-ठन कर 'बाहर‘ कमाने जाते भोजपुरिया सँवाग का एकदम से प्रामाणिक चित्रा तो उभर ही आया; कभी कोर पोंछते हुए तो कभी पसीना पोछते हुए।
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मैं सारे दिन पसीना बहाऊँ, मुझे नैनसुख का कुरता भी न मिले, यह अपाहिज सारे दिन चारपाई तोड़े और यों बन-ठन कर निकाले? एसे वस्त्र तो शायद मुझे अपने ब्याह में भी न मिले होंगे।
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इससे पहले हल्का फुल्का वक्ष को स्पर्श करवाना, बन-ठन कर रहना, लड़कों को कुत्ते की तरह पीछे दौड़वाने तक का खेल मैंने किया था पर सेक्स के मामले में विगत रात अब तक का मेरा उच्च स्कोर थी।
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फिर भी अगर आदमी बन-ठन कर, मेकप थोप कर, बाल रंग कर, सर्जरी कराकर जवानी को महफ़ूज़ रखने की कोशिश करता रहे, या मिस्र के शासकों की तरह बाम-लेपन आदि करके मृत्यु के बाद भी बने रहने की कोशिश करता रहे, तो वह एक चलता फिरता जोकर बनेगा या ममी बनेगा।
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साली मॉरिसन की जूती! आज सवेरे कैसी बन-ठन कर आई थी! पहले से ज्यादा सजी-सँवरी! एक तो भगवान ने वैसे ही इसे फुर्सत के दिन बनाया था और बिज्जू जैसा थोबड़ा और तूँबी जैसा बदन दिया था, ऊपर से नौ सौ चूहे खाने वाली सजकर दफ़्तर आती थी-शेखर ने जोड़ा।