पाचनशिक्त व बुिद्ध वधर्क, हृदय के िलए िहतकारी ओजस्वी चाय 14 बहूमूल्य औषिधयों के संयोग से बनी यह ओजस्वी चाय क्षुधावधर्क, मेध्य व हृदय के िलए बलदायक है।
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‘हे बालक! जौ और चावल तुम्हारे लिये बलदायक तथा पुष्टिकारक बने, ये अन्न तुम्हारे लिये अन्न न होकर देवान्न हो तथा तुम्हें सभी रोगों एवं पाप कर्मों से मुक्त रखे।'
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हमारे अतीत में जो कुछ महान, मलौक, उन् नतिकारक, बलदायक, प्रकाशदायक, जयशील एवं अमोघ था उस सबका हमें स् पष् ट रूप से निर्धारण करना होगा।
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सत्तू मधुर, शीतल, बलदायक, कफ-पित्तनाशक, भूख व प्यास मिटानेवाला तथा श्रमनाशक (धूप, श्रम, चलने के कारण आयी हुई थकान को मिटाने वाला) है ।
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उष्ण (गर्म) प्रकृति वाली, दीपन पाचन पित्त का स्राव करने वाली है, रसग्रन्थि और त्वचा को उत्तेजना देने वाली है, धातु परिवर्त्तक, उत्तेजक, बलदायक और रसायन है ।
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वि वाधेते, एतौ मुच्चतो अहंसः।।'' (अथर्ववेद 8/2/18) ‘हे बालक! जौ और चावल तुम्हारे लिये बलदायक तथा पुष्टिकारक बने, ये अन्न तुम्हारे लिये अन्न न होकर देवान्न हो तथा तुम्हें सभी रोगों एवं पाप कर्मों से मुक्त रखे।'
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आयुर्वेद में यह लघु, स्निग्ध, मधुर, शीतवार्य, बात, पित्त, क्षय, अपस्मार, रक्तपित्त और उनमाद नाशक, बलदायक, मूत्रजनक, निद्राकर, तृष्णाशामक और बीज कृमिनाशक आदि कहा गया है।
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' ' (अथर्ववेद 8 / 2 / 18) ‘ हे बालक! जौ और चावल तुम्हारे लिये बलदायक तथा पुष्टिकारक बने, ये अन्न तुम्हारे लिये अन्न न होकर देवान्न हो तथा तुम्हें सभी रोगों एवं पाप कर्मों से मुक्त रखे।
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गेहूँ में मधुर, शीतल, वायु और पित्त को दूर करने वाले गरिष्ठ, कफकारक, वीर्यवर्धक, बलदायक, स्निग्ध, जीवनीय, पोष्टिक, व्रण के लिए हितकारी, रुचि उत्पन्न करने वाले और स्थिरता लाने वाले विशेष तत्व है.
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में एक मूत्रवर्धक, एक कठोर के सशक्त एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया गया दस्त और पेचिश, रेबीज और ऐंठन के लिए एक शांतिदायक दवा, इलाज के मामलों में एक हल्के जुलाब में गाउट और स्कर्वी, और एक बलदायक को मजबूत गठिया के लिए एजेंट.