| 31. | वाह! बहुत खूब! इसे कहते है जूता मारना और वो भी भिंगा कर.
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| 32. | PMवाह! बहुत खूब! बेहद सुन्दर, मज़ेदार और सठिक रचना प्रस्तुत किया है आपने!
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| 33. | भी कहा है, “आतंक या नेटवर्क टीवी के लिए नहीं, बहुत खूब! के लिए है?”
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| 34. | AMवाह! बहुत खूब! आखिरी वाला कार्टून देखकर डा.अमर कुमार का बनाया कार्टून याद आ गया!
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| 35. | मिश्र जी, पहेली के उत्तर को बहुत नज़दीक से स्पर्श किया है आपने| बहुत खूब!
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| 36. | वाह! बहुत खूब! बधाई हो आपकी श्रीमतीजी को! उनकी मुस्कान हमेशा ऐसे ही खिली रहे।
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| 37. | “पहले सज्जन-से लगते थे अब तो बस अखबार हो गए” क्या बात है! बहुत खूब!
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| 38. | बहुत खूब! सुरक्षा का ध्यान रखा गया है बहुत खूब! सुरक्षा का ध्यान रखा गया है
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| 39. | खलिश साहब, बहुत खूब! आप की कल्पनाशक्ति और प्रतिभा को देख कर मैं दंग रह जाता हूं।
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| 40. | वाह! बहुत खूब! लाजवाब! हर एक शब्द दिल को छू गयी! बेहद सुन्दर और भावपूर्ण रचना!
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