यह तो ठीक है कि शोध में बहुपत्नीत्व की चर्चा नहीं की गई है, किन्तु यह एक कारन हो सकता है कि जिसके द्वारा एक किसान एक आखेटक की अपेक्षा कई गुनी संतानें उत्पन्न कर सकता होगा, अत्: यह विचार शोध के निष्कर्ष की पुष्टि करता है।
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ऐसे ही स्त्रियों को वश में करने वाला मम्बो-जम्बो है, जो जंगल से आता है, परंतु इस्लाम के असर से और खासतौर पर नाइजीरिया जैसे मुल्क में बहुपत्नीत्व के आम होने से वह ‘ हैट लगाकर आने वाला एक नृशंस दंडनायक ' हो जाता है।
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अगली पंक्तियों में यह देखने का प्रयास किया जा रहा है कि यद्यपि सामान्य परिस्थितियों में, मुस्लिम समाज सहित किसी भी समाज में बहुपत्नीत्व वस्तुतः प्रचलित नहीं है तो फिर वे कौन-सी विशेष (असामान्य) परिस्थितियां हैं जिनमें बहुपत्नीत्व की ज़रूरत पड़ जाती है?
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अगली पंक्तियों में यह देखने का प्रयास किया जा रहा है कि यद्यपि सामान्य परिस्थितियों में, मुस्लिम समाज सहित किसी भी समाज में बहुपत्नीत्व वस्तुतः प्रचलित नहीं है तो फिर वे कौन-सी विशेष (असामान्य) परिस्थितियां हैं जिनमें बहुपत्नीत्व की ज़रूरत पड़ जाती है?
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वाद:-यह तो ठीक है कि शोध में बहुपत्नीत्व की चर्चा नहीं की गई है, किन्तु यह एक कारन हो सकता है कि जिसके द्वारा एक किसान एक आखेटक की अपेक्षा कई गुनी संतानें उत्पन्न कर सकता होगा, अत्: यह विचार शोध के निष्कर्ष की पुष्टि करता है।
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ईश्वरीय धर्म मानव-इतिहासके विभिन्न चरणों में, विभिन्न भू-भागों की विभिन्न जातियों व क़ौमों के हाथों बार-बार विकरित व प्रदूषित होते-होते तथा बार-बार ईशदूतों के आगमन द्वारा सुधार प्रक्रिया जारी किए जाते-जाते, 1400 वर्ष पूर्व जब ‘ इस्लाम ' के रूप में आया उस समय बहुपत्नीत्व (Polygyny) विभिन्न रूपों में विश्व को लगभग हर समाज, संस्कृति में प्रचलित था।
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बुद्धिमान स्वयं ओसामा बिन लादेन के इस प्रशंसक की मनोवृत्ति को समझ सकते हैं | संक्षेप में, बहुपत्नीत्व अनाचार है, जिसे वेदों द्वारा पूर्णतः निन्दित माना गया है | यह स्त्री का अपमान है| आज के युग में इसका समर्थन करना, वो भी एक पढ़े लिखे तथाकथिक डॉक्टर द्वारा, और ऐसे बेशर्म तर्कों द्वारा, मनुष्य के सोच का इस से अधिक पतन का और क्या उदहारण हो सकता है?
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बुद्धिमान स्वयं ओसामा बिन लादेन के इस प्रशंसक की मनोवृत्ति को समझ सकते हैं | संक्षेप में, बहुपत्नीत्व अनाचार है, जिसे वेदों द्वारा पूर्णतः निन्दित माना गया है | यह स्त्री का अपमान है | आज के युग में इसका समर्थन करना, वो भी एक पढ़े लिखे तथाकथिक डॉक्टर द्वारा, और ऐसे बेशर्म तर्कों द्वारा, मनुष्य के सोच का इस से अधिक पतन का और क्या उदहारण हो सकता है?
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नाइक कहता है कि बहुपत्नीत्व, स्त्रियों को सांझी संपत्ति के बजाए थोड़े से व्यक्तिगत नुकसान के साथ, निजी संपत्ति की हैसियत से इस्तेमाल करने की इजाजत देता है, यह थोड़ा सा नुकसान पूरी स्त्री जाति के लिए बहुत बड़ा अपमान है | यदि, आपस में पतियों को बांटना हराम है, तो फिर स्त्री को बाँटना क्यों छोटा सा निजी नुकसान गिना जाए? वेद स्त्री और पुरुष में कोई फर्क नही रखते और विवाह सहित सभी बातों में समान अधिकार और स्वातंत्र्य देते हैं |