यदि और खाने की इच्छा हो तो टमाटर, मूली, ककड़ी आदि के सलाद के साथ कूटू, ज्वार, बाजरा आदि साबुत अनाजों के आटे की बनी एक रोटी ले लें।
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वैज्ञनिक शोधों से यह बात खुलकर सामने आई कि मिलेट यानि मंडुवा, झंगोरा, कौणी, ज्वार एवं बाजरा आदि की फसलें जलवायु परिवर्तन के खतरों को न सिर्फ झेलती है अपितु कम भी करती है।
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शरद ऋतु के मध्य काल के बाद गेहूं, मक्का, बाजरा आदि मोटे अनाजों का सेवन दूध, घी, गुड़, राव के साथ अथवा हल्के मसालों वाला सब्जा बदनाव के साथ खाना चाहिए ।
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एक मिट्टे के बरतन में पक्षियों के लिए साफ़ पानी रखा जा सकता है और रोटी के टुकड़े, ब्रेड, दाल, चावल, गेहूं, बाजरा आदि अनाज दाने के रूप में डाले जा सकते हैं।
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एक मिट्टे के बरतन में पक्षियों के लिए साफ़ पानी रखा जा सकता है और रोटी के टुकड़े, ब्रेड, दाल, चावल, गेहूं, बाजरा आदि अनाज दाने के रूप में डाले जा सकते हैं।
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रोटी बनाने के लिए आमतौर पर गेहूँ का आटा प्रयोग किया जाता है पर विश्व के विभिन्न हिस्सों मे स्थानीय अनाज जैसे मक्का, जौ, चना, बाजरा आदि भी रोटी बनाने के लिए प्रयुक्त होता है।
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वहीं इस पहाडी क्षेत्रडूब क्षेत्र में धानए गेहूूए चनाए मसूरए पीली बटरीए मक्काए उड़दए कोदों कुटकीए अरहरए बटरीए बाजरा आदि परम्परागत फसलों की मौजूदगी एक बड़ी व आदर्ष की बात हैए जो कि बांध के प्रभाव से चौपट हो जाऐगी।
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कर्म-जो हम करते हैं वही हमको मिलता है तथा वह कई गुणा होकर मिलता है जैसे सरसों, तिल, बाजरा आदि जो कुछ भी हम जमीन में डालते हैं वह हमें फसल के रूप में कई गुणा होकर मिलता है।
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-मठरी. कचोडी, शक्करपाली, चकली आदि को उच्च रेशेदार तत्वों से युक्त गेहूं के आंटे में सोया, मक्का, बाजरा आदि को मिलाकर ही बनाएं, इससे इनकी कैलोरी वेल्यु तो बढ़ती ही है, साथ ही साथ इनके सेवन से पेट भी ठीक रहता है।
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सूर्य-बहते पानी में गुड़ बहाएं, प्रत्येक कार्य मीठा खा कर व जल पी कर करें, सूर्यकाल में संभोग न करें, कुल रीति रिवाजों को मानें, सूर्य की वस्तुएं बाजरा आदि मुफ्त में न लें, अंधों को भिक्षा दें, पीतल के बर्तनों का उपयोग करें और सफेद टोपी पहनें।