एक तरफ कहा जाता है कि मानव क्रियाओं, जिनमें मानव निर्मित फैक्टरियाँ आदि भी शामिल हैं, की वजह से पर्यावरण प्रदूषण का स्तर खतरे की सीमा से बाहर जाने वाला है, पर साथ ही विभिन्न देशों की...
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निश्चय ही पहली पीढ़ी के प्रवासियों द्वारा मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता या बंगलौर में रचित साहित्य, प्रवासी शब्द के व्यापक अर्थ के अनुसार (घर से बाहर जाने वाला), प्रवासी साहित्य कहलाएगा ।
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और एक दिन पहले से कैरी की आँखें एहसास हो गया था की बेटा कहीं जाने वाला है क्यूंकि जब परसों बेटा पैकिंग कर रहा था तो कैरी को एहसास हो गया था की वो बाहर जाने वाला है।
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और एक दिन पहले से कैरी की आँखें एहसास हो गया था की बेटा कहीं जाने वाला है क्यूंकि जब परसों बेटा पैकिंग कर रहा था तो कैरी को एहसास हो गया था की वो बाहर जाने वाला है।
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और यह सोच ने लगा कि कैसे भाभी को चोद सकूँ, क्यूंकि इस बीच उसका हब्बी भी ७ दिन के टूर पर बाहर जाने वाला था, तब मुझे लगा कि यह कर सही मोका है भाभी को चोदने का.
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अउर का सबूत चाहिये ई जानिये कि उसका दायरा टिप्पणी बक्सा से बाहर जाने वाला नहिंये है, नू? लीजिये हमहूँ ईर्ष्या के वशीभूत होके एक्ठो, टिप्पणी ठोंक देते हैं, हिन्दी-विकास की मज़बूरी जो है! बकिया आपका बहुत सा पोस्ट पिछला पोस्ट पढ़ेंगे, त वस्तू-इस्थिति का नॉलेज़ होगा..
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अउर का सबूत चाहिये ई जानिये कि उसका दायरा टिप्पणी बक्सा से बाहर जाने वाला नहिंये है, नू? लीजिये हमहूँ ईर्ष्या के वशीभूत होके एक्ठो, टिप्पणी ठोंक देते हैं, हिन्दी-विकास की मज़बूरी जो है! बकिया आपका बहुत सा पोस्ट पिछला पोस्ट पढ़ेंगे, त वस्तू-इस्थिति का नॉलेज़ होगा..
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जहां सी वर्तमान में 25 रु. प्रति गीगाबाइट है जैसा ऊपर (ख) में बताया गया है और पी का मूल्यत क्रमश: 0 या 1 है, यदि आईएसपी एक स्टैंड एलोन डेटा केन्द्र है (अर्थात इसका बाहर जाने वाला डेटा प्रवाह आने वाले डेटा प्रवाह का 5 गुना है) या अन्य्था आईएसपी है।
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परंतु हकीकत में ऐसा विरले ही होता है और इसलिए किसी देश का भुगतान संतुलन आमतौर पर घाटे अथवा अतिशेष में होता है| ऋणात्मक भुगतान संतुलन का अर्थ होता है कि देश से बाहर जाने वाला धन आने वाली राशि से कम है| इसकी विपरीत स्थिति भी इसी श्रेणी में आती है |
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एक तरफ कहा जाता है कि मानव क्रियाओं, जिनमें मानव निर्मित फैक्टरियाँ आदि भी शामिल हैं, की वजह से पर्यावरण प्रदूषण का स्तर खतरे की सीमा से बाहर जाने वाला है, पर साथ ही विभिन्न देशों की सरकारें इसी चिंता में रहती हैं कि किस तरह उन का विकास न रुके और विकास रोकने के लिए नयी फैक्टरियाँ बनाना, अधिक से अधिक नयी वस्तुएँ बेचना, बड़ी बड़ी कारें बनाना और उन्हें भी अधिक से अधिक बेचना, जैसी नीतियाँ बनाती रहती हैं, जिनसे प्रदूषण का रोना बिल्कुल बनावटी लगता है.