269) बुरड़क गोत्र की उत्पति सूर्यवंशी राजा [[Vrika | वृक]] के पुत्र [[Bahuka | बाहुक]] से मानते हैं.
32.
मोहभंग की अंतर्यात्राा का अंतिम पड़ाव हनुमान बाहुक तो मृत्यु पीड़ा की चीख पुकार और आर्तनाद की करुण व्यथा का काव्य बन गया है।
33.
तुलसीदास का रामचरित मानस पूर्वार्द्ध की रचना है और विनय पत्रिाका, कवितावली, हनुमान बाहुक आदि को उनरार्द्ध के अंतर्गत रखा जा सकता है।
34.
इसके अतिरिक्त रामसतसई, संकट मोचन, हनुमान बाहुक, रामनाम मणि, कोष मञ्जूषा, रामशलाका, हनुमान चालीसा आदि आपके ग्रंथ भी प्रसिद्ध हैं।
35.
बरवै रामायण, जानकी मंगल, रामलला नहछू, रामज्ञा प्रश्न, पार्वती मंगल, हनुमान बाहुक, संकट मोचन और वैराग्य संदीपनी तुलसीदास जी की छोटी रचनाएँ हैं।
36.
चाहे उनके चरणों में बैठकर 3-3 बार श्री हनुमानाष्टक, बजरंग बाण तथा श्री हनुमान बाहुक का पाठकर लाल मूंगे की माला से इस मंत्र का जाप करें।
37.
तुलसीदास के कृतित्व में श्रीरामचरितमानस के साथ दोहावली, गीतावली, विनय पत्रिका, कवित्त रामायण, बरवै रामायण, जानकी मंगल, रामलला हनुमान बाहुक, वैराग्य संदीपनी आदि कई कृतियां हैं।
38.
[किसी के प्रश्न का उत्तर हनुमान बाहुक का पाठ करते रहे, हर मंगलवार सुन्दरकाण्ड पढ़ते रहे घर में, माँ को नाव की कील का छल्ला पहना दे तुलसी...............]
39.
गोस्वामी के अन्य प्रामाणिक ग्रंथों में रामलला नहछू, रामाज्ञाप्रश्न, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, गीतावली, कृष्णगीतावली, विनय पत्रिका, बरवै रामायण, दोहावली, कवितावली, हनुमान बाहुक, वैराग्य संदीपनीआदि प्रमुख हैं।
40.
मुझसे कवि भगवतीचरण कहते थे-कविवर रामनरेश त्रिपाठी जानते हैं, बहुत आधुनिक रिसर्च है-तुलसीदासजी गर्मी से मरे थे ; यह पता नहीं चला-गर्मी रत्नावली से मिली-कहाँ से ; बाहुक की रचना के वक्त बाँह का दर्द गर्मी के कारण हुआ।