ये प्रत्यय आत्म निहित है ये आत्म निहित प्रत्यय ही बाह्य पदार्थ का रूप लेकर बहिर्वत प्रतीत होते है, चूंकि आत्म निहित विज्ञान ही गलत प्रकिया के चलते बर्हिवत प्रतीत होते है।
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अकार्बनिक अशुद्धियों से मुक्ति के लिए रसरत्न समुच्चय में अयस्क के साथ बाह्य पदार्थ, फ्लक्स को मिलाकर और इस मिश्रण को गर्म कर उन्हें धातुमल के रूप में अलग कर देने का विधान है।
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जैसे सुषुप्ति में बाह्य पदार्थों के ज्ञान के अभाव में भी बाह्य पदार्थ विद्यमान रहते हैं वैसे ही प्रलय में जगत के बाह्य रूप के अभाव में भी जगत का मूल वर्तमान रहता है।
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कहिए कि एक दुर्घटना के बाद, जब एक बाह्य पदार्थ शरीर में अंतःस्थापित हो जाता है, तो हो सकता है इसे शल्यचिकित्सक से हटाया जाय पर वह अच्छा प्रकृति के द्वारा ही होता है।
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जैसे सुषुप् ति में बाह्य पदार्थों के ज्ञान के अभाव में भी बाह्य पदार्थ विद्यमान रहते हैं वैसे ही प्रलय में जगत के बाह्य रूप के अभाव में भी जगत का मूल वर्तमान रहता है।
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अकार्बनिक अशुद्धियों से मुक्ति के लिए रसरत्न समुच्चय में अयस्क के साथ बाह्य पदार्थ, फ्लक्स को मिलाकर और इस मिश्रण को गर्म कर उन्हें धातुमल के रूप में अलग कर देने का विधान है।
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विज्ञान इस द्वैत की पूर्ण व्याख्या नहीं कर सकता, क्योंकि किसी बाह्य पदार्थ के अध्ययन में द्रष्टा और दृष्य भिन्न रहेंगे ही, भले ही वे एक-दूसरे में खूब गुंथे हुए और हिले-मिले हों।
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स्तनधारियों में पांच विभिन्न प्रकार के प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) ज्ञात हैं, जो अलग अलग कार्य करते हैं, तथा वे विभिन्न प्रकार के बाह्य पदार्थ से लड़ने के लिए उचित प्रतिरक्षा (इम्यून) प्रतिक्रिया को जानने में सहायता करते हैं.
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स्तनधारियों में पांच विभिन्न प्रकार के प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) ज्ञात हैं, जो अलग अलग कार्य करते हैं, तथा वे विभिन्न प्रकार के बाह्य पदार्थ से लड़ने के लिए उचित प्रतिरक्षा (इम्यून) प्रतिक्रिया को जानने में सहायता करते हैं.
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चित्त तथा उसके अन्य साथी करणों का ऐसे ज्ञान में यही उपयोग है कि वे बाह्य पदार्थ की छाया [रंग, रूप, आकृति, प्रकार आदि विशेषताओं] को आंतर आत्मा तक पहुँचांने में सहयोग देते हैं।