होली के बाद १५-२० दिन बिना नमक का भोजन करें और अर्ध सिंक हुआ अन्न खाने से वायु-कफ जनित रोग मिटते हैं
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इसका मूल कारण यह था कि भिक्षा में अकसर नमक नहीं मिलता था, इसलिए भिक्षु लोग बिना नमक का ही खाना पका कर खाते थे।
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इस दिन सूर्यनारायण की सविधि उपासना तथा दिन भर उपवास करने के उपरांत सूर्यास्त से पूर्व एक समय बिना नमक का भोजन ग्रहण करने से समस्त रोग-शोक नष्ट होते हैं।
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हमारे गांव में सोमवारी व्रत में दिनभर में एक बार ही बिना नमक का शुद्ध खाना खाने का विधान है, यहां तक की चाय पानी भी एक ही बैठकी में ले लेना होता।
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क्यों नहीं डाला?-देखिये इस कम ज्यादा के चक्कर से दुखी होकर सोचा कि...-सोचा कि बिना नमक का खिला दूं.-जी नहीं.ये नमकदानी रखी है.जितना आपको लगता है, ले लिजिये.
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माँ समझती थी कि चार पूरी या एक बाफला खा लें तो दिन भर पेट भरा-भरा रहता है, आखिर तो पाँच दिन तक बिना नमक का एक धान और वो भी एक ही समय जो खाना है...
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पोलसन बटर (नमकीन पीले मख्खन) से अच्छा है व्हाईट बटर (लोनी, पानी युक्त छाछ से निकाला गया मख्खन, बिना नमक का), छाछ बेहतर है अस्थियों के लिए, बढती उम्र को ऊर्जा से भरे रहती है.
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मंगलवार चतुर्थी-अंगार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना...जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है...-बिना नमक का भोजन करें-मंगल देव का मानसिक अहवान करो...-चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य देंकितना भी कर्ज़दार हो..काम धंधे से बेरोजगार हो..रोज़ी रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा
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हर मंगलवार को नमक बिना का भोजन करे और एक पूजा करे.....तांबे की छोटी थाली में केसर के घोल से त्रिभुज बनाओ.......लाल पुष्प आदि से पूजन करो............बाजु में दिया जलाकर रखो और ये मंत्र जपो “ ॐ मंगलाय नमः ॐ ऋण हर्त्रे हमः......... ॐ भूमि सुताय नमः ” ये जप १० मिनट करें और ये पूजा, बिना नमक का भोजन और पुरुषार्थ करना....कर्जा उतर जाएगा ।
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घर आने के बाद हो सके तो काली गाय (या कोई भी) को बिना नमक का कुछ खिलाये या किसी जरुरतमन्द को अन्न (कुछ अन्न का बना मिठा जैसे लड्डू), वस्त्र (कुछ ना हो तो काला रुमाल हो), दक्षिणा दे (दक्षिणा रु इसलिये देते हैं क्योंकि पैसे देखकर हर कोई सामान ले लेता हैं शायद छोटा सा लालच हैं) ।