अपीलार्थी / अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता ने दौरान बहस यह भी तर्क दिया कि वादिनी मुकदमा द्वारा अपनी लड़की को खुशाल सिहं द्वारा चाकू मारा जाना व दीपक सिहं द्वारा अपने को डण्डे से मारा जाना कहा गया है तथा अपनी लड़की को बेहोश होना कहती है।
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वादी मुकदमा द्वारा अपने साक्ष्य में व प्रथम सूचना रिपोर्ट में अपने भाई बाल गोविन्द व अन्य चोटिल को बेहोश होना नहीं कहा गया है तथा डॉक्टर एच0एस0खड़ायत पी0डल्यू0-4 द्वारा भी अपने परीक्षण के दौरान चोटिल बाल गोविन्द को बेहोशी की हालत में होना नहीं पाया गया।
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नमक आन्दोलन के दौरान वे आततायी शासकों के समक्ष झुके नहीं, वे मारते रहे परन्तु, समाधि स्थिति को प्राप्त राष्ट्र देवता के पुजारी को बेहोश होना स्वीकृत था पर आन्दोलन के दौरान उनने झण्डा छोड़ा नहीं जबकि, फिरंगी उन्हें पीटते रहे, झण्डा छीनने का प्रयास करते रहे ।
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नमक आन्दोलन के दौरान वे आततायी शासकों के समक्ष झुके नहीं, वे मारते रहे परन्तु, समाधि स्थिति को प्राप्त राष्ट्र देवता के पुजारी को बेहोश होना स्वीकृत था पर आन्दोलन के दौरान उनने झण्डा छोड़ा नहीं जबकि, फिरंगी उन्हें पीटते रहे, झण्डा छीनने का प्रयास करते रहे ।
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नमक आन्दोलन के दौरान वे आततायी शासकों के समक्ष झुके नहीं, वे मारते रहे परन्तु, समाधि स्थिति को प्राप्त राष्ट्र देवता के पुजारी को बेहोश होना स्वीकृत था पर आन्दोलन के दौरान उनने झण्डा छोड़ा नहीं जबकि, फिरंगी उन्हें पीटते रहे, झण्डा छीनने का प्रयास करते रहे ।
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अपीलार्थी / अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता ने दौरान बहस यह भी तर्क दिया कि गोपाल सिहं पी0डब्ल्यू0-3 जिसे साक्ष्य में परीक्षित करवाया गया है, के द्वारा जानकी देवी को घटनास्थल पर बेहोश होना कहा है और जिसमें अपने साथ माधो सिहं, चतुर सिहं और जोध सिहं को भी होना बताया तथा चिकित्सक डॉक्टर प्रमोद दुबे पी0डब्ल्यू0-4 द्वारा कोई भी गर्दन की हड्डी टूटने से इंकार किया है।
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याची ने अपने क्लेम पिटीशन में दुर्घटना के बाद हाथ, पॉव, सिर, रीढ़ की हड्डी और शरीर के अन्य भागों में गंभीर और साधारण चोटें आना और रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोटें आने के बाद बेहोश होना और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र चम्पावत में इलाज होना और गंभीर चोटों के इलाज की समुचित व्यवस्था न होने के कारण चिकित्सक द्वारा अन्य किसी बड़े चिकित्सालय में ले जाने की सलाह दिया जाना और तत्पश्चात कृष्णा अस्पताल हल्द्वानी ले जाया जाना और उसके पश्चात राममूर्ति स्मारक चिकित्सालय, बरेली में इलाज होना बताया है।
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मौसम की खुशामद पर रीझा हुआ मन यादों के बुलावे भेजना चाहता तुम्हें पर तुम्हारी सौत-भूख के जाये ये बनजारे इरादे सपनों का तमाशा बाज़ार में दिखाने को उतारू हैं! अभावों के नकेले ये हमारे पानीदार सपने-नंगापन छिपाने धरती गोदते हैं, बिफरते हैं और तमाशे देख कर जीती हुई बेशर्म दुनियाँ सिक्के फेंक ओछी चोटें मारती है खून तो आये कहाँ से? साँस के उगलते हुए बदरंग झागों से भीगी हमारी प्यास बेहोश होना चाहती है किन्तु तेंषरते इरादे सब्र की सारी बुर्जियाँ तोड़ बगावत करने को उतारू हैं!
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टाइफायड रोग होने के साथ ही शरीर में अधिक सुस्ती आना, अधिक उदासीपन महसूस होना, शरीर से ठंडा पसीना आना, जबड़े का नीचे की ओर लटक जाना, बिस्तर पर नीचे की ओर सरक जाना, बेहोश होना, जीभ सूखा रहना और सुन्न पड़ जाना, अनजाने में अपने आप ही मल और पेशाब होना, लगातार बिस्तर पर से नीचे की ओर सरक जाना, गति सविराम ज्वर होना आदि लक्षण होने पर रोगी की चिकित्सा करने के लिए म्यूरियेटिक एसिड औषधि की 30 या 200 शक्ति का उपयोग लाभकारी है।