कहा गया है कि जिसने हर हफ़्ते एक दिरहम सदक़ा किया, वह ‘ मुसद्दिक़ीन ' (यानी सदक़ा देने वालों) में और जिसने हर माह अय्यामे बैज़ के तीन रोज़े रखे, वह ‘ साइमीन ' (यानी रोज़ा रखने वालों) में शुमार किया जाता है.
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