| 31. | नहीं रखते बैर किसी से॥76॥ हिरण्यकशिपु रावंअ बलवान।
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| 32. | हमारी कोई उनसे व्यक्तिगत बैर तो नहीं है।
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| 33. | यही तो आपस में बैर उत्पन्न करता है।
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| 34. | मेरा उनसे कोई व्यक्तिगत बैर नहीं है.
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| 35. | मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना.
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| 36. | यानी जल में रहकर मगर से बैर करे।
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| 37. | जिस्म से बैर है साये से वफादारी है
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| 38. | बैर प्रीति अभ्यास जस, होत होत ही होय।।
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| 39. | बैर बढ़ाते मस्जिद-मंदिर, मेल कराती मधुशाला
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| 40. | हाँ आपका मुँह देखके उनसे बैर न बढ़ाऊँगा।
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