हे देवि! जो स्त्री अपने पति के साथ भक्तियुक्त चित्त से सर्वश्रेष्ठ व्रत को सुनती तथा करती है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
32.
राजा को व्रत करते हुए देखकर उसने विनय के साथ पूजा-हे राजन! भक्तियुक्त चित्त से यह आप क्या कर रहे हैं? मेरी सुनने की इच्छा है.
33.
जो मनुष्य भक्तियुक्त होकर नित्य एक अध्याय का भी पाठ करता है, वह रुद्रलोक को प्राप्त होता है और वहाँ शिवजी का गण बनकर चिरकाल तक निवास करता है (13)
34.
शरीर, मन और वाणी से यदि कोई शिष्य भक्तियुक्त है, तो उसे देखकर जो गुरु उससे किसी वस्तु की कामना करता है और उसे सान्त्वना नहीं देता, तो वह निन्दित होता है ।
35.
भक्तियुक्त होकर शिव के लिए नित्य ताण्डव (नृत्य) करने वाली तथा शिवार्चन में रत रहने वाली उर्वशी, मेनका, रम्भा, रति, तिलोत्तमा, सुमुखी, दुर्मुखी, कामुकी, कामवर्धनी-ये तथा सभी लोकों की अन्य दिव्य अप्सराएँ और देवि
36.
वहाँ उन दोनों की प्रतिष्ठा कर सोलह प्रकार की व पाँच प्रकार की सामग्री से श्रद्धा भक्तियुक्त नाना प्रकार के पकवानों, लड्डुओं, फल, फूल, पान तथा दक्षिणादि सामग्रियों से धर्मराजजी और चित्रगुप्तजी का पूजन करना चाहिए।
37.
' जो न कभी हर्षित होता है, न द्वेष करता है, न शोक करता है, न कामना करता है तता जो शुभ और अशुभ सम्पूर्ण कर्मों का त्यागी है-वह भक्तियुक्त पुरुष मुझको प्रिय है।
38.
ऐसी ही एक रामनवमी के दिन ही तो सूत्र-यग्य (हर उत्सव को बापू सूत के कोमल धागों से बाँधते) करते हुए थोड़े क्षणों में विनोबा की आँखों से भक्तियुक्त आँसू टप-टप-टप टपकने लगे थे न!
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इस तरह जो स्त्री अपने पति के साथ भक्तियुक्त चित्त से इस सर्वश्रेष्ठ व्रत को सुनती तथा करती है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, और उसे सात जन्म तक सुख तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
40.
ऐसी ही एक रामनवमी के दिन ही तो सूत्र-यग्य (हर उत्सव को बापू सूत के कोमल धागों से बाँधते) करते हुए थोड़े क्षणों में विनोबा की आँखों से भक्तियुक्त आँसू टप-टप-टप टपकने लगे थे न!