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भगण उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
31.पंक्तियों में भगण का ही प्रयोग करना है याने कि शब्दों का चयन ऐसा हो कि क्रम से गुरु | लघु | लघु मात्राएँ ही आयें।

32.मुंजाल के ' लघुमानस' में अयन चलन के संबंध में स्पष्ट उल्लेख है, जिसके अनुसार एक कल्प में अयन भगण 1,99,669 होता है, जो वर्ष में 59.9 विकला होता है।

33.हिंदी में जैसे नगण, सगण, जगण, भगण, रगण, तगण, यगण, मगण होते हैं वहीं सब कुछ उर्दू में भी चलता है ।

34.गण 8 प्रकार के होते हैं-यगण (।ऽऽ), मगण (ऽऽऽ), तगण (ऽऽ।), रगण (ऽ।ऽ), जगण (।ऽ।), भगण (ऽ।।

35.हिन्दी साहित्य में ' यमाताराजभानसलगा' यानि यगण (122), मगण (222), तगण (221), रगण (212), जगण (121), भगण (211), नगण (111) और सगण (112) रूप में जो गण हैं वो उर्दू के अरकान से कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं रखते हैं।

36.रसैः रुद्रैश्छिन्ना यमनसभला गः शिखरिणी जिसमें यगण, मगण, नगण, सगण, भगण और लघु तथा गुरु के क्रम से प्रत्येक चरण में वर्ण रखे जाते हैं और 6 तथा 11 वर्णों के बाद यति होती है, उसे शिखरिणी छन्द कहते हैं;

37.इसी तरह राजभा से रगण जिसमें दो गुरु के मध्य में लघु वर्ण होता है, जगण का ज़भान यानी एक लघु फिर गुरु फिर लघु, भानस से भगण जिसमें आदि में गुरु पुन: दो लघु आते हैं ।

38.जिस गण की मात्राओं का स्वरूप जानना हो उसके आगे के दो अक्षरों को इस सूत्र से ले लें जैसे ‘ भगण ' का स्वरूप जानने के लिए ‘ भा ' तथा उसके आगे के दो अक्षर-‘ न स ' = भानस (ऽ।।

39.जिस गण की मात्राओं का स्वरूप जानना हो उसके आगे के दो अक्षरों को इस सूत्र से ले लें जैसे ‘भगण ' का स्वरूप जानने के लिए ‘भा' तथा उसके आगे के दो अक्षर-‘न स' = भानस (ऽ।।)। इस भगण में ही तो रसखान ने लिखा हैः

40.यदि ल और ग दो चर हैं [या दो अवस्थायें हैं], तो (ल + ग) ३ के विस्तार में ल २ ग का गुणांक = उन गणों की संख्या जिनमें दो लघु तथा एक गुरु है = ३ [ज गण, भगण, सगण].

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