एडलर लिखते हैं कि “गति की दिशा को पहले ही भांप लेना मन की केंद्रीय शक्ति है। ' ' पर चूंकि मन को शरीर में ही रहना है इसलिए वह भी एक जरूरी फैक्टर है क्योंकि गति तो शरीर ही करेगा।
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वहाँ पाठ्यक्रम के अपने यूआरएल होने के लिए कुछ फायदे हैं, लेकिन एक शुरुआत के लिए, एक मुक्त एक काम करेंगे जब तक आप इसे भांप लेना और यह सब अपने खुद के सर्वर पर स्थानांतरित करना चाहते हैं.
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यदि आप एक बच्चे के रूप में एक घेरा इस्तेमाल किया है, इसे वापस नहीं काफी के रूप में आसानी से एक मोटर साइकिल की सवारी के रूप में आ सकता है लेकिन थोड़ा अभ्यास के साथ आप इसे भांप लेना होगा.
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अकरम ने कहा कि आईसीसी को यह खतरा दस साल पहले ही भांप लेना चाहिए था क्योंकि आईसीसी और क्रिकेट बोर्ड्स को क्रिकेट से करोड़ों डॉलर मिल रहे हैं जबकि खिलाड़ियों को उसका मामूली हिस्सा मिलता है, लिहाजा ऐसी चीजें होनी ही थीं।
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जाहिर है, इन सभी के गुर सीखने के लिए समय ले लो लेकिन आप देखना चाहिए कि समय और अनुभव के एक बिट के साथ आप जल्द ही इसे भांप लेना होगा और पेशेवर लोगों में अपने शौकिया तस्वीरें फेरबदल शुरू करते हैं.
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नरेंद्र मोदी को भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने को लेकर लालकृष्ण आडवाणी को मनाए जाने के प्रयासों के बीच बिहार में पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आडवाणी को गुजरात के मुख्यमंत्री को लेकर जनता के रूख को भांप लेना चाहिए।
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नरेंद्र मोदी को भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने को लेकर लालकृष्ण आडवाणी को मनाए जाने के प्रयासों के बीच बिहार में पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि आडवाणी को गुजरात के मुख्यमंत्री को लेकर जनता के रूख को भांप लेना चाहिए।
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हालांकि यह मास्टर करने के लिए विशेष रूप से जब आप फोटो संपादन की दुनिया में सिर्फ एक शुरुआत कर रहे हैं मुश्किल हो सकता है, तो आप देखेंगे कि अनुभव के साथ, आप इसे भांप लेना और पेशेवर देख लोगों के लिए अपने शौकिया तस्वीरें देख बदलने शुरू करने में सक्षम हो जाएगा.
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वैसे तो वैवाहिक संबंधों की नियति को पहले ही भांप लेना संभव नहीं है, हालांकि अपवाद तो सभी मामलों में होते हैं, लेकिन फिर भी विवाह का निर्णय लेने से पहले परिवार वालों की भागीदारी और उनकी भावनाओं का भी ध्यान रखा जाए तो इसके सफल होने की संभावनाएं काफी हद तक बढ़ जाती हैं.
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लेकिन यदि कोई अपने इस सहज विवेक का दामन छोडकर इसलिए दुखी होगा कि उसकी सोच तीन क्विंटल वजन उठाकर चलने वाले की सोच से मेल क् यों नहीं खाती तो जाहिरा तौर पर या तो समय जी को यह पोस् ट लिखनी पडेगी या फिर उसे यह तय करना होगा कि बडे बडे सिद्धांतों से आतंकित होना ज् यादा उत् तेजक है या यह जान लेना कि हम क् या चाहते हैं और क् या कर सकते हैं यह भांप लेना अधिक सार्थक है ।