द्वितीय महायुद्ध से पहले कई अंतरराष्ट्रीय संगठन भूसर्वेक्षण का काम करते थे किंतु युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय भूगणितीय और भूभौतिकीय संघ (international geodetic and geophysical union) का संगठन हुआ।
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इनमें एक भूगणितीय अनुभाग (geodetic section) है, जिसने पहले अंतरराष्ट्रीय भूगणितीय ऐसोसियेशन का कार्य सँभाल लिया है और अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष संघ के साथ अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण का कार्य भी ले लिया।
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इनमें एक भूगणितीय अनुभाग (geodetic section) है, जिसने पहले अंतरराष्ट्रीय भूगणितीय ऐसोसियेशन का कार्य सँभाल लिया है और अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष संघ के साथ अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण का कार्य भी ले लिया।
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द्वितीय महायुद्ध से पहले कई अंतरराष्ट्रीय संगठन भूसर्वेक्षण का काम करते थे किंतु युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय भूगणितीय और भूभौतिकीय संघ (international geodetic and geophysical union) का संगठन हुआ।
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इन प्रारंभिक कार्यो से यह विभाग शनै: शनै: स्थलाकृतिक सर्वेक्षण, खोज और दक्षिण एशिया के अधिकांश भूभाग के भौगोलिक मानचित्रों का अनुरक्षण तथा भूगणितीय कार्य के लिये जिम्मेदार बन गया है।
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इनमें एक भूगणितीय अनुभाग (geodetic section) है, जिसने पहले अंतरराष्ट्रीय भूगणितीय ऐसोसियेशन का कार्य सँभाल लिया है और अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष संघ के साथ अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण का कार्य भी ले लिया।
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इनमें एक भूगणितीय अनुभाग (geodetic section) है, जिसने पहले अंतरराष्ट्रीय भूगणितीय ऐसोसियेशन का कार्य सँभाल लिया है और अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष संघ के साथ अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण का कार्य भी ले लिया।
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इन प्रारंभिक कार्यो से यह विभाग शनै: शनै: स्थलाकृतिक सर्वेक्षण, खोज और दक्षिण एशिया के अधिकांश भूभाग के भौगोलिक मानचित्रों का अनुरक्षण तथा भूगणितीय कार्य के लिये जिम्मेदार बन गया है।
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भारत में भूभौतिकी का सबसे पहले प्रयोग कर्नल विलियम लैम्बटन द्वारा किया गया जिन्होंने 1799 में एक सर्वेक्षण का सुझाव दिया जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी के अण्डाकार अध्ययन के लिए भूगणितीय नेटवर्क का उदय हुआ।
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भारत में भूभौतिकी का सबसे पहले प्रयोग कर्नल विलियम लैम्बटन द्वारा किया गया जिन्होंने 1799 में एक सर्वेक्षण का सुझाव दिया जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी के अण्डाकार अध्ययन के लिए भूगणितीय नेटवर्क का उदय हुआ।