जमाव प्रक्रियाओं को अधिकतर अवसाद-विज्ञान के क्षेत्र के भीतर माना जाता है, लेकिन अक्सर भू-आकृति विज्ञान के हिस्से के रूप में भी समझा जाता है.
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भू-आकृति विज्ञान के अनुसार, इस क्षेत्र को मालवा पठार, विंध्य क्षेत्र, सतपुड़ा की पहाड़ियों और नर्मदा के मैदान में बांटा जा सकता है।
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नए सुझावों पर विचार करने के अलावा जल ग्रहण क्षेत्र में जल मौसम विज्ञान संबंधी ;हाइड्रोमेट्रोलाजिकल, भू-आकृति विज्ञान संबंधी ;जियोमोरफालिजिकल और गाद संबधी अध्ययन जारी रहनी चाहिए।
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नए सुझावों पर विचार करने के अलावा जल ग्रहण क्षेत्र में जल मौसम विज्ञान संबंधी ; हाइड्रोमेट्रोलाजिकल, भू-आकृति विज्ञान संबंधी ; जियोमोरफालिजिकल और गाद संबधी अध्ययन जारी रहनी चाहिए।
35.
कुछ उल्लेखनीय अपवादों के साथ (नीचे देखें), भू-आकृति विज्ञान एक अपेक्षाकृत नया विज्ञान है, जो 19वीं सदी के मध्य से भू विज्ञान के अन्य पहलुओं में रुचि के साथ बढ़ रहा है.
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कुछ उल्लेखनीय अपवादों के साथ (नीचे देखें), भू-आकृति विज्ञान एक अपेक्षाकृत नया विज्ञान है, जो 19वीं सदी के मध्य से भू विज्ञान के अन्य पहलुओं में रुचि के साथ बढ़ रहा है.
37.
नदियों और खास कर उत्तर बिहार के मैदानी इलाकों में बहने वाली नदियों की प्रवृति को समझने के लिए नदीय भू-आकृति विज्ञान एवं नदी अभियंत्रणा के बीच समुचित समन्वय की आवश्यकता है।
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जलीय पारितंत्रों (जैसे कि नदियां, नाले, झीलें और आर्द्रभूमि) में इस बात पर बल दिया जाता है किस तरह जल रसायन, भू-आकृति विज्ञान और जल विज्ञान उनकी संरचना और कार्य को प्रभावित करते हैं.
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जलीय पारितंत्रों (जैसे कि नदियां, नाले, झीलें और आर्द्रभूमि) में इस बात पर बल दिया जाता है किस तरह जल रसायन, भू-आकृति विज्ञान और जल विज्ञान उनकी संरचना और कार्य को प्रभावित करते हैं.
40.
भू-गर्भ शास्त्र, भू-आकृति विज्ञान, जल-सर्वेक्षण एवं आइसोटोप जानकारी के आधार पर फैसला लिया गया कि उन ऊंचाइयों पर पानी को संरक्षित करने हेतु कच्चे तालाब के चेक डैम बनाने की जरूरत है।