यह अभ्यास भ्रूणविज्ञान के क्षेत्र में आम है और इसने मानव और पशु जीव विज्ञान की हमारी वर्तमान समझ में एक बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान किया है.
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ऐसे अंतर्विभागों में आकारिकी (Morphology), सूक्ष्मऊतकविज्ञान (Histology), कोशिकाविज्ञान (Cystology), भ्रूणविज्ञान (Embryology), जीवाश्मविज्ञान (Palaeontology), विकृतिविज्ञान (Pathology), वर्गीकरणविज्ञान (Taxology), आनुवांशिकविज्ञान (Genetics), जीवविकास (Evolution), पारिस्थितिकी (Ecology) तथा मनोविज्ञान (Psychology) अधिक महत्व के हैं।
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मानव निषेचन और भ्रूणविज्ञान परिषद इस बात पर विचार कर रही है कि दाताओं की कमी को दूर करने के लिए किस तरह से उन्हें दी जाने वाली रक़म तय की जाए.
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जैव प्रौद्योगिकी में कार्यक्रम, एक उचित साथ पाठ्यक्रम प्रदान करता आनुवंशिकी, आण्विक जीव विज्ञान, जैव रसायन, और भ्रूणविज्ञान और कोशिका जीव विज्ञान जैसे विषयों का मिश्रण है.
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उनका मानना है कि “अंडाणु और शुक्राणुदाताओं के लिए बदले में धन की व्यवस्था करना न केवल मानव निषेचन और भ्रूणविज्ञान परिषद के अधिकारक्षेत्र से बाहर है बल्कि यह क़ानून के भी ख़िलाफ है”.
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5. भ्रूणविज्ञान (Embryology)-इसके अंतर्गत लैंगिक जनन की विधि में जब से युग्मक बनते हैं और गर्भाधान के पश्चात् भ्रूण का पूरा विस्तार होता है तब तक की दशाओं का अध्ययन किया जाता है।
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चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में मानव भ्रूणविज्ञान के अध्ययन का अत्यंत महत्व है, क्योंकि शरीरचना संबंधी अनेक विचित्र वास्तविकताओं को हम भ्रूणविज्ञान के ज्ञान से अब ठीक से समझ सकते हैं, जिन्हें पहले नहीं समझ पाते थे।
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चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में मानव भ्रूणविज्ञान के अध्ययन का अत्यंत महत्व है, क्योंकि शरीरचना संबंधी अनेक विचित्र वास्तविकताओं को हम भ्रूणविज्ञान के ज्ञान से अब ठीक से समझ सकते हैं, जिन्हें पहले नहीं समझ पाते थे।
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चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में मानव भ्रूणविज्ञान के अध्ययन का अत्यंत महत्व है, क्योंकि शरीरचना संबंधी अनेक विचित्र वास्तविकताओं को हम भ्रूणविज्ञान के ज्ञान से अब ठीक से समझ सकते हैं, जिन्हें पहले नहीं समझ पाते थे।
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चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में मानव भ्रूणविज्ञान के अध्ययन का अत्यंत महत्व है, क्योंकि शरीरचना संबंधी अनेक विचित्र वास्तविकताओं को हम भ्रूणविज्ञान के ज्ञान से अब ठीक से समझ सकते हैं, जिन्हें पहले नहीं समझ पाते थे।