शाम को चल रही मंद हवा के बीच भारतीय नृत्यकला मंदिर मुक्ताकाश मंच पर जब कविता पाठ शुरू हुआ तो श्रोताओं की हंसी रूकने का नाम ही नहीं ले रही थी।
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इस सभा के चारों ओर मंदार, परिजात और सौगन्धिक वृक्षों के उद्यान तथा उपवन हैं, जहां से सुगन्धित, सुखद शीतल, मंद हवा सभा मंडल में प्रविष्ट होती रहती है।
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ऐसी कितनी ही छोटी छोटी बातें हैं जो आपको एक मंद हवा के झोंके से आनन्दित सा कर देतीं हैं, और इस आनंद के पीछे कितनी पीड़ा को छुपाये ये पुलकित प्रतीक!
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ऐसी कितनी ही छोटी छोटी बातें हैं जो आपको एक मंद हवा के झोंके से आनन्दित सा कर देतीं हैं, और इस आनंद के पीछे कितनी पीड़ा को छुपाये ये पुलकित प्रतीक!
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सुबह की शीतल मंद हवा में जब सूर्य की किरणें अपने तेज प्रकाश से पर्वत तथा बर्फ के कवच पर पड़ती हैं तब सूर्य के प्रभाव से वे गुलाबी रंग में दिखने लगते हैं।
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एक दिन मैं रोज की तरह वहा जा कर बैठा था, साँझ ढल रही थी, मंद मंद हवा चल रही थी और मैं भी उन बच्चों के साथ उनकी माँ का इंतजार करने लगा।
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यार दोस्त पार्टी की शराब पी कर जा चुके हैं उधेड़े गये गिफ्ट रैपर्स पंखे की मंद हवा में इधर उधर सिर झुला रहे हैं मैं ढूँढ़ रहा हूँ शब्द कैनवास पर छाये शून्य को भरने के लिये
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चादर तकिया हरा कालीन छप्पर सब प्रकृति से लेकर यथावत रखूंगा |झींगुर का संगीत होगा जुगनुओं की टिमटिमाती रोशनी होगी, मंद मंद हवा चलेगी ऐसे प्राकृतिक वातावरण में तुमको रखूंगा |काश तुम रह सको |आज की चमक दमक से दूर
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मुझे पता है आने वाले हैं कुछ दिन में ए सी करने वाले हैं स्थायी गठबंधन दीवारों से मंद मंद हवा के साथ रूम फ्रेशनर की भीनी भीनी खुशबू भीतर से बाहर तक महकेगी क्योंकि घर के बाहर लगा हरसिंगार का पेड़ हो गया है अतीत की बात
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बेंगलुरु के आलोक कुमार श्रीवास्तव द्वारा रचित यह कविता उन्हीं पलों की यादों को ताज़ा कर देगी-जब तुम हमें मिले, तो हम ये सोचने लगे!!देखा तो है पहले कहीं, पहले भी हम कहीं मिले!जब ज़ुल्फ़ आपकी खुली, मंद मंद हवा चली!लगा की कायनात में, सियाह रात छा गयी!