मग़रिबी दुनिया की तरह लाक़ानूनीयत का शिकार न हो कि दुनिया की हर ज़बान में क़ानूनी रिश्ते को इज़्देवाज और शादी से ताबीर किया जाता है।
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दरअसल, ऐन रशीद मग़रिबी बंगाल की अदबी पेशानी पर दमकते हुए उस झूमर की तरह थे जिसमें कलंदरी और बेनियाज़ी के हजारहा मोती जड़े हुए थे।
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चुनाँचे वोह घर के गिर्द चार दीवारी बनाता है, इसके बरखिलाफ मग़रिबी शख्स इन चीजों का ख़याल नही रखता और यह मग़रिबी तहज़ीब के मुताबिक है।
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चुनाँचे वोह घर के गिर्द चार दीवारी बनाता है, इसके बरखिलाफ मग़रिबी शख्स इन चीजों का ख़याल नही रखता और यह मग़रिबी तहज़ीब के मुताबिक है।
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इस्लाम हर मसले को इंसानीयतस, शराफ़त और क़ानून की रोशनी में हल करना चाहता है और मग़रिबी दुनिया क़ानून और लाक़ानूनीयत में इम्तेयाज़ की क़ाएल नही है।
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जैसे मज़दूर सरमाए दारों की गाली पी जाते हैं, जैसे घरेलू उलझनें चेहरे का आब पी जाती है, जैसे मग़रिबी औरतें हंसते हुए शराब पी जाती हैं.
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इस दौर में जापान ने एक सोची-समझी नीति के तहत खुद को बाक़ी दुनिया से काटे रखा, मग़रिबी मुल्कों से हर तरह के रिश्ते को तो बिल्कुल ही खत्म कर डाला ।
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इस नज़्म में यूनिकार्न की अलामत मग़रिबी मुमालिक से पाकिस्तान की बराबरी की तरफ़ ही नहीं बल्कि उन पर यूनिकार्न के वतन की बरतरी की तरफ़ भी साफ़ इशारा किया गया है:
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पस आज दुनियाँ में इंसानों के अंदर पाया जाने वाला रूहानी बोहरान (crisis), दायमी बेचैनी और फैला हुआ शर इस मग़रिबी तहज़ीब से पैदा होने वाले नताइज की बहतरीन मिसाले है।
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इसलिये एक मग़रिबी इंसान इसे एक फन्नी शयपारा (कलात्मक वस्तु) समझता है और एक तमद्दुनी शय के तौर पर इस पर फख्र करता है अगर इसमें फन्नी कमाल की तमाम शरायत पूरी तरह पाई जाऐं।