दिलीप कुमार रफ़ी साहब के साथ बिताए वक़्त को याद करते हुए कहते हैं कि वह एक ख़ुशगप्पी थे और हँसी मज़ाक करना उनकी फ़ितरत थी.
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साइमंड्स ने कहा, “वे विपक्षी खिलाड़ी, जिन्हें मैं अच्छी तरह जानता हूँ और जो मेरे साथ ऐसा मज़ाक करना चाहते हैं, उनकी बात मुझे परेशान नहीं करती.
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इन सब के बीच, कॉलेज अटेंड करना, हसी मज़ाक करना, एम्. बी. बी. एस. के एग्ज़ॅम्स देना और पास करना भी कर लेती थी..
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उस दिन से उसने खुल कर मज़ाक करना शुरु कर दिया था … जब मन में आता वह सबको चिढ़ा देता … और हम सब केवल खुल कर हँसते रहते … बहुत ही नटखट, हर बात पर मज़ाक …
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परमात् मा साक्षी है कि हम किसी भी तथाकथित धर्म, मत, मज़हब, पन् थ या जाति अथवा सम् प्रदाय इत् यादि की निन् दा की दृष्टि से खण् डन, अवहेलना, अपमान या मज़ाक करना नहीं चाहते।
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सरकार में रह कर उन्होंने क्या किया और क्या नहीं किया, शायद इसे तो इतिहास भूल भी जाये, पर उनके व्यक्तिगत जीवन की बातें जैसे कि भद्दे इशारे या मज़ाक करना, नवजवान और नाबालिग लड़कियों से जुड़े हुए किस्से, बहुत समय तक याद रखे जायेंगे.
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मनोज कुमार जैसे देशभक्त कलाकार का मज़ाक करना शाहरुख़ को शोभा नही देता येह जानबूज कर किया गया है|फ़राह ख़ान / शाहरुख़ को देशभक्त कलाकारो से वैसे भी जलन है|क्योंकि येह लोग ख़ुद देशभक्त कभी नही हो सकते येह उन लोगो की हरकतो से पूरा भारत देश जानता है|येह बकवास फ़िल्म बनाकर युवा को ख़राब करेंगे
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रफ़ी साहब ने इस गाने के बारे में कहा था कि इसे गाते वक़्त उन्हें अपनी बेटी की विदाई याद आ गई थी इसलिए इस गाने में उनकी आवाज़ में जो दर्द उभरा वह बिल्कुल असली था. ख़ुशगप्पीदिलीप कुमार रफ़ी साहब के साथ बिताए वक़्त को याद करते हुए कहते हैं कि वह एक ख़ुशगप्पी थे और हँसी मज़ाक करना उनकी फ़ितरत थी.
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(वसाएलुश्शीया जि 11, स 437) इमाम जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम का फ़रमाते हैः اما مرو ّ ۃ السفر فبذل الزاد والمزاح فی غیر ما یسخط اللہ عزوجل و قل ّ ۃ الخلاف علی من صحبک و ترک الروایۃ علیھم اذا انت فارقتھم सफ़र में मर्दानगी यानी सफ़र की ज़रूरी चीज़ें ख़र्च करना, ऐसा मज़ाक करना जिससे अल्लाह नाराज़ न हो, साथियों का विरोध न करना और जुदा होने के बाद उनकी बुराई न करना।