मतवालापन हाला से ले मैंने तज दी है हाला, पागलपन लेकर प्याले से, मैंने त्याग दिया प्याला, साकी से मिल, साकी में मिल अपनापन मैं भूल गया, मिल मधुशाला की मधुता में भूल गया मैं मधुशाला।।
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३ ८ मतवालापन हाला से ले मैंने तज दी है हाला, पागलपन लेकर प्याले से, मैंने त्याग दिया प्याला, साकी से मिल, साकी में मिल अपनापन मैं भूल गया, मिल मधुशाला की मधुता में भूल गया मैं मधुशाला.
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फूल, तितली, चिड़िया, घास, पौधे, पेड़, मौसम, बादल किसी के स्वभाव पर तो मेरा नियंत्रण नहीं, इनका मनमानापन, इनका दीवानापन, इनका मतवालापन, इनका बेमतलबपन-सब हमारे जीवन के अंश हैं, अंग हैं।
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अब शरीर के काम स्पष्ट हैं, अर्थात् व्यभिचार, अशुद्धता, कामुकता, मूर्तिपूजा, जादूटोना, बैर, झगड़ा, ईष्र्या, क्रोध, मतभेद, फूट, दलबन्दी, द्वेष, मतवालापन, रंगरेलियां तथा इस प्रकार के अन्य काम हैं...
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प्रकाशित वाक् य 2: 10 के अनुसार व् यभिचार, गन् दे काम, पूर्ति पूजा, टोन् हा, बैर, झगड़ा, ईर्ष् या, क्रोध, विरोध, विधर्म, डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, आदि काम त् यागना है क् योंकि ऐसे काम करने वाले परमेश् वर के राज् य के वारिस नहीं होंगे।
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“ शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्यात व्यभिचार, गन् दे काम, लुचपन, मूर्तिपूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म, डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा और इनके जैसे और-और काम हैं, इनके विषय में मैं तुम को पहिले से कह देता हूँ जैसा पहिले कह भी चुका हूँ, कि ऐसे ऐसे काम करनेवाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे।