तो मुझे बख़्श दे तो रब ने उसे बख़्श दिया, बेशक वही बख़्शने वाला मेहरबान है {16} अर्ज़ की ऐ मेरे रब, जैसा तूने मुझ पर एहसान किया तो अब (12) (12) यह करम भी कर कि मुझे फ़िरऔन की सोहबत और उसके यहाँ रहने से भी बचा कि उसी वर्गे में गिना जाना, यह भी एक तरह का मददगार होना है.