शाहीना को इसका व्यक्तिगत अनुभव है इसलिए वह भली-भांति जानती है, उस पर अब्दुल नासिर मदानी केस में गवाहों को 'डराने-धमकाने' का झूठा आरोप लगाया गया है ।
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याद रहे की मदानी 1997 के कोयंबटूर विस्फोट के केस में विचाराधीन कैदी के रूप में 10 साल पहले ही बिता चुके हैं और 2007 मे वो रिहा कर दिये गये थे।
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याद रहे की मदानी 1997 के कोयंबटूर विस्फोट के केस में विचाराधीन कैदी के रूप में 10 साल पहले ही बिता चुके हैं और 2007 मे वो रिहा कर दिये गये थे।
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शाहीना को इसका व्यक्तिगत अनुभव है इसलिए वह भली-भांति जानती है, उस पर अब्दुल नासिर मदानी केस में गवाहों को 'डराने-धमकाने ' का झूठा आरोप लगाया गया है ।
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मदानी साहित्य समूह नेपाल द्वारा आयोजित उनके हाल ही प्रकाशित कविता संग्रह ‘ म काठमाडौं आइपुगें कविता संग्रह पर परिचर्चा कार्यक्रम में उन्होंने अपनी कविता लेखन की शुरूआत, रचना गर्भ और अनुभव भी सुनाया।
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शाहीना को इसका व्यक्तिगत अनुभव है इस लिए वो भली-भांति जानती है, उस पर अब्दुल नासिर मदानी केस में गवाहों को ' डराने-धमकाने ' झूठा आरोप लगाया गया है ।
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शाहीना को इसका व्यक्तिगत अनुभव है इसलिए वह भली-भांति जानती है, उस पर अब्दुल नासिर मदानी केस में गवाहों को ' डराने-धमकाने ' का झूठा आरोप लगाया गया है ।
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मदानी साहित्य समूह, नेपाल पश्चिम नेपाल के युवा साहित्यिक अभियन्ताओं की एक क्रियाशील साहित्यिक संस्था है जो मासिक रूप में नेपाल के स्थापित साहित्यकार, लेखक और पुस्तक के बारे में चर्चा करता आ रहा है।
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-अफजल गुरू, कसाब और मदानी जैसे आतंकवादियों के प्रति उदासीनता बरती जाए तब तो ऐसे लोग भी सेक्युलरवादी होते है परन्तु एमसी शर्मा के बलिदान का समर्थन किया जाए तो वे लोग साम्प्रदायिक बन जाते है।
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-अफजल गुरू, कसाब और मदानी जैसे आतंकवादियों के प्रति उदासीनता बरती जाए तब तो ऐसे लोग भी सेक्युलरवादी होते है परन्तु एमसी शर्मा के बलिदान का समर्थन किया जाए तो वे लोग साम्प्रदायिक बन जाते है।