यहीं हिन्दुस्तानी राष्ट्र-राज्य संस्था और उसके द्वारा निर्मित ख़ास आधुनिकता के मॉडल का वो पेंच खुलकर सामने आता है जिसके सहारे मध्यकालीन समाज की तमाम गैर-बराबरियाँ इस नवीन व्यवस्था में ठाठ से घुसी चली आती हैं.
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यहीं हिंदुस्तानी राष्ट्र-राज्य संस्था और उसके द्वारा निर्मित खास आधुनिकता के मॉडल का वो पेंच खुल कर सामने आता है, जिसके सहारे मध्यकालीन समाज की तमाम गैर-बराबरियां इस नवीन व्यवस्था में ठाठ से घुसी चली आती हैं।
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मनुस्मृति को मध्यकालीन समाज का अन्तिम विधान मानने वाले विवाद रत्नाकर जैसे ग्रंथ को भूल जाते हैं जिसमें ब्राह्मण की अवध्यता पर इतनी शर्तें लगाई गई हैं कि किसी अपराधी ब्राह्मण का अवध्य होना असंभव हो जाय।
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मनुस्मृति को मध्यकालीन समाज का अन्तिम विधान मानने वाले विवाद रत्नाकर जैसे ग्रंथ को भूल जाते हैं जिसमें ब्राह्मण की अवध्यता पर इतनी शर्तें लगाई गई हैं कि किसी अपराधी ब्राह्मण का अवध्य होना असंभव हो जाय।
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यहीं हिन्दुस्तानी राष्ट्र-राज्य संस्था और उसके द्वारा निर्मित ख़ास आधुनिकता के मॉडल का वो पेंच खुलकर सामने आता है जिसके सहारे मध्यकालीन समाज की तमाम गैर-बराबरियाँ इस नवीन व्यवस्था में ठाठ से घुसी चली आती हैं.
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इसलिए स्त्री, जो हमारे मध्यकालीन समाज में प्रायः मुक्ति के उलट बन्धन, और बुद्धि के उलट कुटिल त्रिया-चरित्र का पर्याय मानी गई, मुक्ति से जुड़ कर, उन पुराने सन्दर्भों से भी मुक्त होगी, यह दिखने लगता है।
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1974 से एलिजाबेथ ए. आर. ब्राउन के द टायरेनी ऑफ ए कंस्ट्रक्ट और सुसान रिनोल्ड्स के फिफ्स एंड वसल्स (1994) के प्रकाशन के साथ, मध्यकालीन समाज को समझने केलिए क्या सामंतवाद उपयोगी निर्माण है, इस पर इतिहासकारों के बीच एक अधूरी चर्चा चल रही है.
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1974 से एलिजाबेथ ए. आर. ब्राउन के द टायरेनी ऑफ ए कंस्ट्रक्ट और सुसान रिनोल्ड्स के फिफ्स एंड वसल्स (1994) के प्रकाशन के साथ, मध्यकालीन समाज को समझने केलिए क्या सामंतवाद उपयोगी निर्माण है, इस पर इतिहासकारों के बीच एक अधूरी चर्चा चल रही है.
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1974 से एलिजाबेथ ए. आर. ब्राउन के द टायरेनी ऑफ ए कंस्ट्रक्ट और सुसान रिनोल्ड्स के फिफ्स एंड वसल्स (1994) के प्रकाशन के साथ, मध्यकालीन समाज को समझने केलिए क्या सामंतवाद उपयोगी निर्माण है, इस पर इतिहासकारों के बीच एक अधूरी चर्चा चल रही है.
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रामचरित मानस ” महाकाव्य में दानवत्व की विजय दिखाकर तथा उसमें विभिन्न चरित्रों को उद्घाटित कर आदर्श पति, आदर्श पत्नी, आदर्श पत्नी, आदर्श भाई एवं आदर्श सेवक का अनूठा उदहारण मध्यकालीन समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया और लोगों को जीवन के नैतिक आदर्शों एवं मूल्यों को पालन करने की प्रेरणा दी।