मध्य कर्ण से रोग का संक्रमण पीछे या नीचे की ओर अस्थि में पहुँच जाता है और वहाँ शोथ तथा विद्रधि बनकर अस्थि गलने लगती है।
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मध्य कर्ण से रोग का संक्रमण पीछे या नीचे की ओर अस्थि में पहुँच जाता है और वहाँ शोथ तथा विद्रधि बनकर अस्थि गलने लगती है।
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मैंने सुना है वहाँ वहाँ एक पेट की आंतों है, और फिर मस्तिष्क के इस हिस्से में स्मृति, कान के मध्य कर्ण झिल्ली · कांप से.
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यह रोग सदा मध्य कर्ण की विद्रधि से उत्पन्न होता है, विशेषकर जब कर्णपटह में विदार होकर, या उसके छेदन से, पूय का निर्हरण पूर्ण नहीं होता।
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यह रोग सदा मध्य कर्ण की विद्रधि से उत्पन्न होता है, विशेषकर जब कर्णपटह में विदार होकर, या उसके छेदन से, पूय का निर्हरण पूर्ण नहीं होता।
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बाह्यकर्ण के आंतरिक छोर पर स्थित श्रवण पटल पर शब्द के कंपन, ध्वनि लहरियों के रूप में होते हैं, जिन्हें मध्य कर्ण की तीन अस्थियाँ, मैलियस (
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इन अंगों में से कान के पर्दे से लेकर मध्य कर्ण एवं अंतःकर्ण के अंगों में विकार होने पर विभिन्न प्रकार की श्रवणहीनता की स्थिति उत्पन्न होती है।
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इन अंगों में से कान के पर्दे से लेकर मध्य कर्ण एवं अंतःकर्ण के अंगों में विकार होने पर विभिन्न प्रकार की श्रवणहीनता की स्थिति उत्पन्न होती है।
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पुराना मवाद मध्यकर्णशोथ की वजह से मध्य कर्ण क्षेत्र में कुछ सप्ताहों या उससे ज्यादा वक्त में कान की झिल्ली में एक छिद्र और सक्रिय जीवाण्विक संक्रमण हो जाता है.
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पुराना मवाद मध्यकर्णशोथ की वजह से मध्य कर्ण क्षेत्र में कुछ सप्ताहों या उससे ज्यादा वक्त में कान की झिल्ली में एक छिद्र और सक्रिय जीवाण्विक संक्रमण हो जाता है.