| 31. | ये नदियां हैं मही, सोम और जाखम।
|
| 32. | बरसता जो गगन से वह जमा होता मही में,
|
| 33. | आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या
|
| 34. | रस सोखता है जो मही का भीमकाय वृक्ष,
|
| 35. | मथत मथत माखन रही, दही मही बिलगाव
|
| 36. | ल मही एक कलम के मज़दूर का गांव था।
|
| 37. | इस मही पर सृजन पथ जबतक रहेगा
|
| 38. | जहाँ महक मोदक औ मही की ।।
|
| 39. | तोय निमज्जन: मही के हर छोर से...!
|
| 40. | साथ मही का अलग उल्लेख स्पष्ट है।
|