| 31. | रोटी-माखन खाने क्यों नहीं आते हो
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| 32. | मन-मन कहति कबहुं अपने घर देखौ माखन खातें॥
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| 33. | कान्हा ऐसे ही नहीं ' माखन चोर' कहलाते थे।
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| 34. | मैया माखन रोटी-मेवा ले दौड़ी आई
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| 35. | नारायण, गोपाल मिश्र, माखन, दलगंजन।
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| 36. | माखन कर दधि मुख लपटायें देखि रही नंदलाल॥
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| 37. | माखन जब काढ़ि लियो छाछ पिये कोई..
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| 38. | रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥6॥
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| 39. | माखन तो अपने घर मे भी होता है
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| 40. | जाने ना दोगी तो रोटी माखन ना खाऊँगा
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