| 31. | ईश्क़ माशूक़ से न हो, कुछ लोग, जिन्सी क़ुदरत का ज़्आम रखते हैँ।।
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| 32. | मगर जिधर भी निगाह जाती किसी आशिक़ और माशूक़ की चेष्टाओं से टकराती।
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| 33. | उसकी शायरी में माशूक़ को लेकर बहुत कोमल भावनाओं का इज़हार भी है.
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| 34. | माशूक़ के जुल्मों की फ़रियाद करने के लिए एक हड्डी भी बाक़ी न रहे।
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| 35. | ‘ अम अपने माशूक़ के लिए अपने जिस्म का एक-एक बोटी नुचवा सकता है।
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| 36. | जितना सांसारिक लोगों के साथ समझौते करोगे, माशूक़ तुम से उतना ही रूठता जायेगा।
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| 37. | जितना सांसारिक लोगों के साथ समझौते करोगे, माशूक़ तुम से उतना ही रूठता जायेगा।
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| 38. | गालिब से पहले किसी शायर ने खुदा और माशूक़ का मज़ाक नहीं उड़ाया था.
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| 39. | अब ग़ज़ल में इश्क़ का केंद्र ख़ुदा या माशूक़ न होकर राष्ट्र और मातृभूमि हुई।
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| 40. | अब ग़ज़ल में इश्क़ का केंद्र ख़ुदा या माशूक़ न होकर राष्ट्र और मातृभूमि हुई।
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